आयन किसे कहते है ? आयन कितने प्रकार के होते है ? धनायन और ऋणायन की विशेषताओं को लिखें ?
आयन -
जब कोई परमाणु एक या एक से अधिक संयोजी इलेक्ट्रॉन का त्याग या ग्रहण कर धनाविष्ट या ऋणाविष्ट होता है तो ये परमाणु आयन कहलाता है |
आयन दो प्रकार के होते है
( 1 ) धनायन
( 2 ) ऋणायन
( 1 ) धनायन -
जब कोई परमाणु एक या एक से अधिक संयोजी इलेक्ट्रॉन का त्याग कर धनाविष्ट होता है तो उसे धनाय, कहते है |जैसे - सोडियम का परमाणु एक इलेक्ट्रॉन का त्याग कर सोडियम आयन में परिवर्तित हो जाता है |
( 2 ) ऋणायन -
जब कोई परमाणु एक या एक से अधिक संयोजी इलेक्ट्रॉन का
ग्रहण कर ऋणाविष्ट हो जाता है तो उसे ऋणायन कहा जाता है |
धनायन की विशेषतएँ
( 1 ) धनायन पर धन आवेश रहता है क्योंकि धनायन में प्रोटॉन की संख्या इलेक्ट्रॉन की संख्या से अधिक रहती है |
( 2 ) किसी धनायन में अपने मूल परमाणु से कम इलेक्ट्रॉन रहता है | जैसे सोडियम (Na) परमाणु में कुल 11 इलेक्ट्रान होते है लेकिन सोडियम आयन में 10 इलेक्ट्रॉन ही रहता है | (3) परमाणु के धनायन में परिवर्तित हो जाने पर भी उसकी परमाणु संख्या अपरिवर्तित रहती है |
(4) धनायन का आकार उसके मूल परमाणु के आकार से छोटा होता है |
(5) धनायन का इलेट्रॉनिक विन्यास उसके निकटतम उत्कृष्ट गैस से सदृश होता है |
ऋणायन की विशेषताएँ -
(1) ऋणायन पर ऋण आवेश रहता है |(2) ऋणायन में अपने मूल परमाणु से अधिक इलेक्ट्रान रहता है |
(3) ऋणायन का आकार अपने मूल परमाणु के आकार से बड़ा होता है |
(4) मूल परमाणु के ऋणायन में परिवर्तित हो जाने पर उसके परमाणु संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता है |
(5) ऋणायन के गुण अपने मूल परमाणु के गुण से बिलकुल भिन्न होता है |
(6) ऋणायन और उसके निकटतम उत्कृष्ट गैस के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास एक ही होते है |
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