ग्लोब
हमारी पृथ्वी गोलाकार है | जो सूर्य की परिक्रमा अपने दीर्घ वृत्ताकार पथ पर करती हैं | ग्लोब पृथ्वी का यथार्थ निरूपण है | यद्यपि ग्लोब पर धरातल की आकृतियों एवं दिशाओं का प्रदर्शन शुद्धता पूर्वक किया जा सकता है | तथापि ग्लोब के प्रयोग में कई असुविधाएं आती है | ग्लोब पर सभी स्थान अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं ( जो काल्पनिक रेखाएं हैं ) की सहायता से दर्शाए जाती है
अक्षांश रेखा
किसी स्थान की भूमध्य रेखा से उत्तर तथा दक्षिण की ओर गुणात्मक दूरी को उस स्थान का अक्षांश कहा जाता है | तथा एक ही गुणात्मक दूरी वाले स्थान को मिलाने वाली रेखा को अक्षांश रेखा कहा जाता है |
भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक 90° अक्षांश होते हैं भूमध्य रेखा से हम जैसे-जैसे ध्रुवों की ओर बढ़ते जाते हैं अक्षांश रेखा का मान बढ़ता जाता है | यदि हम भूमध्य रेखा से उत्तर की ओर जाते हैं तो उस स्थान का अक्षांशीय मान (°N) लिखते हैं और दक्षिण जाने पर (°S) लिखते हैं | सभी अक्षांश रेखाएं समांतर होती है दो अक्षांशों के मध्य की दूरी लगभग 111 किमी होता है |
विषुवत रेखा
उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों को मिलाने वाली काल्पनिक रेखाओ को देशांतर रेखा कहा जाता है | यह रेखाएं समांतर नहीं होती है, क्योंकि ध्रुवों से विषुवत रेखा की ओर बढ़ने पर देशांतरो के बीच की दूरी बढ़ती जाती है | विषुवत रेखा पर इसके बीच की दूरी 111.32 किमी होती है |
ब्रिटेन के ग्रीनविच ( जहां प्राचीन वेधशाला अवस्थित है ) से गुजरने वाली रेखा को प्रधान मध्यान रेखा कहा जाता है | एवं इसके दोनों ओर 180° अंशो में देशांतर रेखाएं विभाजित है | चुकी 1° देशांतर रेखा को पार करने में 4 मिनट का समय लगता है | अतः प्रधान मध्यान रेखा 0° से 90° पूर्व या पश्चिम पर जाने में 6 घंटे का समय लगता है |
भारत में माध्य प्रामाणिक समय रेखा 82.5° पूर्व मिर्जापुर ( उत्तर प्रदेश ) से होकर गुजरती है | जो ग्रीनविच के मध्याह्न से 5 घंटे 30 मिनट आगे है |
समय की सुविधा एवं देश में एकरूपता बनाए रखने के लिए अधिकांश देशों में एक ही माध्य प्रमाणिक समय निर्धारित किया गया है | जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में 7 एवं सर्वाधिक 9 टाइम जोन रूस में है | ऑस्ट्रेलिया में तीन टाइम जोन है जबकि भारत एवं चीन में एक टाइम जोन निर्धारित किया गया है | क्रोनोमीटर यंत्र की सहायता से ग्रीनविच समय के साथ-साथ किसी भी स्थान का देशांतर ज्ञात किया जाता है |
महत्वपूर्ण अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं पर स्थित देश
विषुवत रेखा ( पश्चिम से पूर्व )
इक्वाडोर , कोलंबिया , ब्राजील , साओटोमे प्रिंस्पी , गैबोन , कांगो गणराज्य , जनतांत्रिक कांगो गणराज्य , युगांडा , केन्या , सोमालिया , मालदीव , इंडोनेशिया , किरीबाती
कर्क रेखा ( पश्चिम से पूर्व )
चिली , अर्जेंटीना , पराग्वे , ब्राजील , नामीबिया , बोत्सवाना , दक्षिण अफ्रीका , मोजाम्बिक , मेडागास्कर , तथा आस्ट्रेलिया ,
0° देशांतर ( उतर से दक्षिण ) - यूनाइटेड किंगडम फ्रांस स्पेन , अल्जीरिया , माली , बुर्किना फासो , टोगो घाना
वृहत वृत्त और न्यून वृत्त
वृहत वृत्त
बृहत वृत वे वृत होते हैं | जिसके तल पृथ्वी के बीचों बीच से गुजरते हुए पृथ्वी को दो सामान भागों में विभक्त करती है | वृहत वृत्त कहलाती है |
न्यून वृत्त
वे वृत्त जो पृथ्वी के बीच से नहीं गुजरती है | और ना ही पृथ्वी को दोस्त समान भागों में बांटती है , न्यून वृत्त कहलाती है |
भूमध्य रेखा एवं सभी देशांतर रेखाएं वृहत वृत्त होती है | नाविक वृहत वृत्त का अनुसरण करता है | क्योंकि यह पृथ्वी पर किन्ही दो स्थानों के बीच की न्यूनतम दूरी को दर्शाती है | धरातल पर अनेक वृहत वृत्त खींचे जा सकते हैं |
अंतरराष्ट्रीय तिथि रेखा
1884 ई. मैं वाशिंगटन में हुई संधि के बाद 180° याम्योत्तर के लगभग ( स्थलखंडों को छोड़कर ) एक काल्पनिक रेखा निर्धारित की गई जिसे अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहा जाता है | अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा आर्कटिक सागर , चुक्सी सागर , बेरिंग जल संधि व प्रशांत महासागर से गुजरती है बेरिंग जल संधि अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के समांतर स्थित है | इस रेखा के पूर्व से पश्चिम की ओर यात्रा करने पर या पार करने पर एक दिन घट जाएगा जबकि पश्चिम से पूर्व की ओर यात्रा करने पर 1 दिन बढ़ जाएगा अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा सीधी रेखा ना होकर टेढ़ी-मेढ़ी रेखा है | ताकि यह किसी स्थलखंड से होकर ना गुजरे यह रेखा चार बार विचलित होती है | वर्ष 2011 में समुआ द्वीप को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के पश्चिम में कर दिया गया है | इसी तरह टोकेलाउ भी अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के पश्चिम में आ गया है| इस परिवर्तन का मुख्य कारण इन द्वीप की आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड से भौगोलिक समीपता एवं व्यापार की अधिकता है |
विषुवत रेखा सबसे बड़ी अक्षांश रेखा होती है | जिसकी लंबाई लगभग 40069 किमी होती है | विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर जैसे-जैसे बढ़ते हैं | वस्तु के भार में बढ़ोतरी होती जाती है | वस्तु के भार में यह बढ़ोतरी घूर्णन बल के कमी के कारण होती है | उत्तरी गोलार्ध में विषुवत रेखा से 23.5° अंश पर खींचा गया काल्पनिक वृत्त कर्क रेखा है | दक्षिणी गोलार्ध में विषुवत रेखा से 23.5 अंश पर खींचा गया काल्पनिक वृत्त मकर रेखा है | 66.5° N अक्षांश रेखा को आर्कटिक वृत्त एवं 66.5° S को अंटार्कटिक वृत्त कहा जाता है| इसे उप ध्रुवीय यह ब्रिज भी कहा जाता है | इसी काल्पनिक रेखा पर पृथ्वी का अक्ष बिंदु स्थित है | https://www.videosprofitnetwork.com/watch.xml?key=6742ad6922f95fec8a7c06602cd6125d
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