मंगलवार, 22 जून 2021

भूकंप किसे कहते है , भूकंप के बारे में वर्णन करे , भूकंप आने के कारण , भूकंप के प्रभाव

 

        भूकंप किसे कहते है 




 भूकंप एक ऐसी प्रक्रिया है | जिसमें भूपटल के नीचे या ऊपर चट्टानों के बीच  कंपन या  गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में क्षणिक  आव्यवस्था होने पर  पृथ्वी पर हलचल उत्पन्न होती है | इस प्रक्रिया को भूकंप कहा जाता है | अतः भूकंप का सामान्य अर्थ पृथ्वी के कंपन से है | यह कंपन सामान्यतः भूगर्भ में ऊर्जा की विमुक्ति के कारण होती हैं | भूकंप में कंपन होने पर तरंगे उत्पन्न होती है | जो अपने उद्गम केंद्र से चारों ओर फैल जाती हैं|

                               उद्गम केंद्र

        भूकंप का वह केंद्र जहां से भूकंपीय तरंगे उत्पन्न होती है |  भूकंप का उद्गम केंद्र कहा जाता है |

                               अधिकेंद्र 

 वह बिंदु जहां पर सर्वप्रथम  भूकंपीय तरंगे महसूस किया जाता है |  अधिकेंद्र कहलाता है | अधिक केंद्र पर ही सर्वाधिक विनाश होती है | अधिकेंद्र उद्गम केंद्र के ठीक ऊपर 90 डिग्री के कोण पर होता है |

                      भूकंपीय तरंगे

 भूकंपीय तरंगे मुख्यतः दो प्रकार की होती है 

                     (1) भूगर्भिक तरंगे 

                     (2) धरातलीय तिरंगे

                          भूगर्भिक तरंगे 

  भूगर्भिक तरंगे वह तरंग है | जो उद्गम केंद्र से ऊर्जा मुक्त होने के दौरान उत्पन्न होती है | तथा पृथ्वी के आंतरिक भागों से सभी दिशाओं में प्रसारित होती है |

                         धरातलीय तरंगे 

  भूगर्भिक तरंगे  एवं  धरातलीय शैलो  के मध्य अन्योन्य  क्रिया होती है | जिसके कारण एक नए तरंग उत्पन्न होती है जो धरातलीय तरंगे कहलाती है |

    भूकंप से तीन प्रकार की तरंगों का निर्माण होता है

 ( 1 ) P  तरंगे जिसे प्राथमिक या अनुदैध्र्य या संपीडन तरंगे कहते है ध्वनि के समान  इन तरंगो का संचरण वेग होता है  जिसके कारण यह ठोस गैस एवं द्रव तीनों माध्यमों से होकर गुजरती है सिस्मोग्राफ पर सर्वप्रथम  P तरंगों का ही  अंकन होता है 

P  तरंगों की ठोस माध्यम  में गति 7.8 किमी/ सेकंड होती है

 ( 2 ) S तरंगे  P   तरंग के उत्पत्ति के बाद  S तरंग का निर्माण होता  है जिसे द्वितीयक  या अनुप्रस्थ तरंग कहा जाता है  इस तरंग का संचरण वेग  अपेक्षाकृत कम होता है यह केवल ठोस माध्यम से ही होकर गुजर सकती हैं इसकी गति 4.5 से 6 किलोमीटर/सेकंड होती है

 ( 3 ) L   तरंग का संचरण केवल धरातलीय भाग पर होता है इसका वेग सबसे कम होता है इसका  वेग  1.5 से 3 किमी /सेकण्ड होती है  यह धरातल पर सबसे अंतिम में पहुंचती है आड़े तिरछे धक्का देकर चली जाती है  जिसके कारण सर्वाधिक विनाशक होती है

            भूकंप आने के कारण  

      भूकंप आने के प्रमुख कारण निम्नलिखित है

 (1)  जब ज्वालामुखी विस्फोट होती है जिसके कारण कंपन उत्पन्न होती है | जो भूकंप को जन्म देती है |

(2)  जब पृथ्वी की प्लेटों में असंतुलन उत्पन्न होती है | तो भूकंप का जन्म होता है |

 (3)  बृहतआकार जलाशयों के जल भर से सतह  पर असंतुलित दबाव पड़ता है  | जिसके कारण भूकंप उत्पन्न हो सकती है |

 (4)   वलन  या  भ्रंश जैसी टेक्टोनिक क्रियाओं से भी भूकंप उत्पन्न होती है |

(5)  हिमखंड  या शिलाओं  के खिसकने तथा गुफाओं की छतों के धंस जाने या खानो की छतो के गिर जाने से भी भूकंप आता है

                       भूकंप का पूर्वानुमान 

 भूकंप का  पूर्वानुमान लगाने में मानव एवं विज्ञान को अभी भी पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं हुई है |  लेकिन  निम्नलिखित कारको द्वारा  भूकंप आने के कुछ संकेत प्राप्त करते हैं |

                       रेडॉन गैस का उत्सर्जन 

  किसी बड़े भूकंप के आने से पूर्व रेडॉन गैस का  उत्सर्जन बढ़ जाता है |  अतः  रेडॉन गैस के निकास पर दृष्टि रखने से किसी बड़े भूकंप के आने की चेतावनी मिल सकती है

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                        पशुओं का आचरण 

  प्रायः ऐसा देखने में आया है |  कि किसी बड़े भूकंप के आने से पहले जीव जंतु विशेषत:  बिलो में रहने वाले जीव जंतु असाधारण ढंग से व्यवहार करने लगती है |   वे अपने छिपने के स्थान से बाहर निकल आते हैं | चिड़िया जोर-जोर से चह  चहाती है |  कुत्ते एक नियत प्रकार से  भौकते  या रोते हैं |

                          भूकंप की माप 

 भूकंपीय घटनाओं का मापन भूकंपीय  तीव्रता एवं आघात की तीव्रता के आधार पर किया जाता है |  भूकंप की तीव्रता की मापनी  रिक्टर  स्केल  के नाम से जाना जाता है |  यह एक लोगरिथमिक स्केल होता है  | जिसमें 0 से 10 तक पाठ्यांक  दर्ज होता है | इसमें   प्रत्येक पाठयांक  पिछले  पाठयांक  से 10 गुना  अधिक परिमाण को दर्शाता है |

                           समभूकंप रेखा

        समान भूकंप की तीव्रता को मिलाने वाली रेखा को समभूकंप रेखा कहा जाता है

 आघात की तीव्रता या गहनता भूकंपीय झटको से हुई प्रत्यक्ष हानि द्वारा निर्धारित की जाती है | इसकी गहनता का पाठयांक  1 से 12 तक होती है |

                        सह  भूकंप रेखा 

 एक ही समय पर पहुंचने वाली तरंगों को मिलाने वाली रेखा को सह  भूकंप रेखा कहा जाता है 

                    भूकंप का विश्व वितरण

(1)  परिप्रशांत पेटी - परिप्रशांत  पेटी धरातल की सबसे बृहत एवं विस्तृत भूकंपीय पेटी है |  विश्व के दो तिहाई भूकंप इसी क्षेत्र में आता है | यह ज्वालामुखी या अग्निवलय वाले  क्षेत्र है | जो  न्यूजीलैंड ( प्रशांत के पश्चिमी तट या ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के पूर्वी तट )  से लेकर कमचट्का प्रायद्वीप आलस्का होते हुए  (  उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट या  प्रशांत महासागर के पूर्वी तट ) फॉकलैंड तक फैला है  | यह प्लेटो के अभिसरण सीमा क्षेत्र में अवस्थित है  एवं नवीन मोड़दार पर्वतो  एवं ज्वालामुखी का क्षेत्र है |

( 2)  मध्य महाद्वीपीय पेटी -  यह भूमध्य सागर से लेकर पूर्वी द्वीप समूह (  भूमध्य सागर , काकेशस ,  तुर्की ,  ईरान,  आर्मीनिया ,  बलूचिस्तान , महान हिमालय के क्षेत्र यूनान ,  म्यांमार , इंडोनेशिया ) तक  फैली है |  मुख्यतः इन क्षेत्रों में संतुलन पूर्वक भूकंप आता है | इस पेटी में  विश्व के 21% भूकंप आता है |

 ( 3 )  मध्य अटलांटिक  पेटी -  यह पेटी अटलांटिक महासागर में उपस्थित मध्य अटलांटिक कटक के सहारे आइसलैंड से लेकर दक्षिण में बोवेट द्वीप तक फैली हुई है  |इसमें ज्वालामुखी उद्गार तथा कटक निर्माण प्रक्रिया के द्वारा भूकंप आता है |

                       भूकंप के प्रभाव 

 भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है  | जिसके कारण स्थलखंड पर भूमि का हिलना धरातलीय विसंगति भूस्खलन  धरातलीय झुकाव हिमस्खलन जैसे प्रभाव पड़ते हैं |  अतिरिक्त तटबंध के टूटने आग लगने इमारतों का ध्वस्त होना वस्तुओं का गिरना इन सभी के कारण   जन धन की काफी हानि होती है | समुद्री भूकंपीय तरंगों के कारण सुनामी लहरें पैदा होती है | भूकंप से सर्वत्र विनाश    क्रिया ही दृष्टिगोचर नहीं होती है | बल्कि कभी-कभी नवीन भू जल स्रोत की धारा भी वह निकलती है  या खारे की जगह मीठा जल स्रोत भी परिलक्षित हो जाती है |

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