शनिवार, 30 अगस्त 2025

अमेरिकी कोर्ट ने राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ को गैरकानूनी करार दिया

 

अमेरिकी कोर्ट ने राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ को गैरकानूनी करार दिया

वॉशिंगटन: अमेरिका में एक बड़ा कानूनी और राजनीतिक झटका सामने आया है। यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया है। अदालत ने कहा कि ट्रंप ने अपनी राष्ट्रपति शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियों (IEEPA) का गलत इस्तेमाल किया।



 

फैसला कब और कैसे आया?

यह ऐतिहासिक फैसला 29 अगस्त 2025 को सुनाया गया। अदालत के 7-4 के बहुमत ने माना कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए “Reciprocal Tariffs” संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ हैं। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि यह फैसला 14 अक्टूबर 2025 तक लागू नहीं होगा ताकि प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके।

क्या है टैरिफ का मामला?

ट्रंप ने अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल (2017-2021) में “America First” नीति के तहत कई देशों से आयातित उत्पादों पर ऊंचे टैरिफ लगाए थे। इन टैरिफ का असर खासकर स्टील, एल्युमिनियम, टेक्नोलॉजी और उपभोक्ता वस्तुओं पर पड़ा। उनका कहना था कि इससे अमेरिकी उद्योगों की रक्षा होगी। लेकिन आलोचकों के अनुसार इससे वैश्विक व्यापार युद्ध शुरू हुआ और अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगे सामान खरीदने पड़े। अब, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल (2025) के दौरान अदालत ने इन टैरिफ को अवैध ठहराया है।

कोर्ट का तर्क

अदालत का कहना है कि राष्ट्रपति की शक्तियाँ असीमित नहीं हैं। IEEPA का उपयोग करके टैरिफ लगाना कानून की भावना और कांग्रेस की शक्तियों के खिलाफ है। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार संतुलन को बिगाड़ता है और अमेरिका के कूटनीतिक संबंधों पर बुरा असर डालता है।

इस फैसले का असर

  • अमेरिकी उपभोक्ता: विदेशी उत्पाद सस्ते हो सकते हैं।
  • भारत, चीन और यूरोप: इन देशों से आयात बढ़ सकता है, जिससे कारोबारियों को राहत मिलेगी।
  • अमेरिकी उद्योग: घरेलू उद्योगों पर दबाव बढ़ सकता है, क्योंकि प्रतिस्पर्धा तेज होगी।
  • ट्रंप की राजनीति: राष्ट्रपति के रूप में यह फैसला ट्रंप की नीतियों और छवि पर गहरा असर डालेगा।

भारत के लिए मायने

ट्रंप प्रशासन ने भारत के कई उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाया था। इस वजह से भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हुआ। अब कोर्ट के इस फैसले से भारत के स्टील, टेक्सटाइल और ऑटो पार्ट्स उद्योग को अमेरिका में नए अवसर मिल सकते हैं।

राजनीतिक असर

यह फैसला ट्रंप प्रशासन के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती है। विपक्ष इसे “कानून की जीत” बता रहा है, जबकि ट्रंप समर्थक इसे “न्यायपालिका का अतिरेक” कह रहे हैं। आने वाले समय में यह मुद्दा अमेरिकी राजनीति में चुनावी बहस का केंद्र बन सकता है।

निष्कर्ष

अमेरिकी अदालत का यह फैसला न केवल ट्रंप की आर्थिक नीतियों पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि संविधान से ऊपर कोई नहीं, चाहे वह राष्ट्रपति ही क्यों न हो। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जहां यह तय होगा कि टैरिफ का भविष्य क्या होगा और वैश्विक व्यापार किस दिशा में जाएगा।

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