PM मोदी UNGA 80वें सत्र में नहीं जाएंगे, भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे डॉ. एस. जयशंकर
संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly - UNGA) का 80वां सत्र भारत और पूरी दुनिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाला है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शामिल नहीं होंगे और उनकी जगह विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह फैसला केवल औपचारिक बदलाव नहीं है बल्कि भारत की विदेश नीति, वैश्विक राजनीति और कूटनीतिक प्राथमिकताओं का संकेत भी है।
प्रधानमंत्री मोदी और UNGA का रिश्ता
2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने पहुँचे, तो उन्होंने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का मंत्र पूरी दुनिया के सामने रखा। उनके भाषण हमेशा से वैश्विक स्तर पर चर्चा में रहते हैं। 2019 और 2021 में भी उनके संबोधन में आतंकवाद, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल इंडिया जैसे मुद्दे प्रमुख रहे। उनके भाषण केवल राजनीतिक बयान नहीं बल्कि भारत की सभ्यता और संस्कृति का संदेश होते हैं।
इस बार PM मोदी क्यों नहीं जा रहे?
प्रधानमंत्री मोदी इस समय घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अहम कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। देश में विकास परियोजनाएँ, आगामी चुनावी तैयारियाँ
संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly - UNGA) का 80वां सत्र भारत और पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शामिल नहीं होंगे और उनकी जगह विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
भारत-अमेरिका संबंध और मौजूदा तनाव
PM मोदी का इस बार UNGA में शामिल न होना केवल कार्यक्रमों की व्यस्तता से जुड़ा नहीं माना जा रहा। इसके पीछे भारत-अमेरिका संबंधों में हालिया व्यापारिक तनाव भी एक बड़ा कारण है।
अमेरिका ने हाल ही में भारत से आने वाले कई उत्पादों पर 50% तक टैक्स लगा दिया है। इसके साथ ही अमेरिकी नेतृत्व की ओर से लगातार कड़े बयान दिए जा रहे हैं। इन घटनाओं ने दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों में तनाव पैदा कर दिया है।
भारत ने हमेशा अमेरिका के साथ साझेदारी को महत्व दिया है, लेकिन ऐसे आर्थिक फैसले और बयानबाजी रिश्तों में खटास ला सकती है। विदेश मंत्री जयशंकर के भाषण में इस मुद्दे पर भारत की तरफ से संतुलित लेकिन स्पष्ट संदेश दिए जाने की उम्मीद है।
जयशंकर की भूमिका
डॉ. एस. जयशंकर एक अनुभवी राजनयिक हैं और अमेरिका सहित कई देशों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वे मौजूदा हालात में UNGA के मंच से भारत की आवाज़ को मजबूती से रखेंगे। उनके भाषण में Global South, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध जैसे मुद्दे प्रमुख रहने की संभावना है।
इसलिए इस बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर करेंगे।डॉ. एस. जयशंकर: एक अनुभवी कूटनीतिज्ञ
डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर भारतीय विदेश सेवा के सबसे अनुभवी अधिकारियों में गिने जाते हैं। उन्होंने अमेरिका, चीन, सिंगापुर और चेक गणराज्य जैसे देशों में राजदूत के रूप में सेवाएँ दी हैं। 2015 में वे विदेश सचिव बने और 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें विदेश मंत्री नियुक्त किया। उनकी किताब “The India Way” भारत की नई विदेश नीति को समझने में बेहद अहम मानी जाती है। उनकी कूटनीतिक शैली संतुलित, स्पष्ट और व्यावहारिक मानी जाती है।
भारत और संयुक्त राष्ट्र का ऐतिहासिक रिश्ता
भारत संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य है। 1945 से लेकर आज तक भारत ने हमेशा बहुपक्षवाद (multilateralism) का समर्थन किया है। भारत शांति मिशनों में सबसे अधिक सैनिक भेजने वाले देशों में से है। अफ्रीका और एशिया में भारतीय शांति सैनिकों की भूमिका बेहद अहम रही है। भारत लगातार यह मांग करता रहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का ढाँचा पुराना हो चुका है और इसमें भारत जैसे बड़े लोकतंत्र को स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।
भारत की विदेश नीति और UNGA का महत्व
UNGA भारत के लिए केवल एक मंच नहीं बल्कि अपनी वैश्विक पहचान को मजबूत करने का अवसर है। यहाँ भारत अपनी नीतियों और दृष्टिकोण को दुनिया के सामने रखता है। साथ ही UNSC सुधार, आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और सतत विकास जैसे मुद्दों पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करता है।
पिछले वर्षों के मोदी भाषण: मुख्य बिंदु
- 2014: वसुधैव कुटुंबकम का मंत्र
- 2019: आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख
- 2021: One Earth, One Health का संदेश
- 2023: डिजिटल इंडिया और जलवायु परिवर्तन पर फोकस
इस बार डॉ. जयशंकर किन मुद्दों पर बोल सकते हैं?
विदेश मंत्री के भाषण में निम्न मुद्दों के उठने की संभावना है:
- Global South: विकासशील देशों की चुनौतियाँ – गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्तीय असमानता।
- जलवायु परिवर्तन: भारत की प्रतिबद्धता और विकसित देशों की जिम्मेदारी।
- शांति और सुरक्षा: रूस-यूक्रेन युद्ध और वेस्ट एशिया संकट पर भारत का संतुलित दृष्टिकोण।
- आतंकवाद: किसी भी रूप में आतंकवाद को समर्थन न देने की वैश्विक अपील।
- सतत विकास: SDGs को पूरा करने की दिशा में भारत की भूमिका।
भारत की विदेश नीति: नई दिशा
भारत अब “Non-Aligned” से “Multi-Aligned” देश बन चुका है। भारत अमेरिका के साथ साझेदारी बढ़ा रहा है, रूस के साथ रक्षा संबंध मजबूत रख रहा है और चीन के साथ सीमा विवाद के बावजूद संतुलित संबंध बनाए रखता है। भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में Quad और अन्य समूहों के माध्यम से अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराता है।
भारत-अमेरिका संबंध
अमेरिका और भारत के बीच रक्षा, तकनीक, शिक्षा और व्यापार में सहयोग तेजी से बढ़ा है। UNGA में भारत की स्थिति अमेरिका भी ध्यान से सुनता है क्योंकि भारत आज इंडो-पैसिफिक रणनीति का अहम हिस्सा है।
भारत-चीन संबंध
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लंबे समय से जारी है। UNGA के मंच पर भारत हमेशा यह स्पष्ट करता है कि आक्रामक रवैया स्वीकार्य नहीं है। जयशंकर इस बार भी भारत की संप्रभुता और सुरक्षा पर स्पष्ट संदेश देंगे।
भारत-रूस संबंध
रूस भारत का पारंपरिक मित्र रहा है। रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच मजबूत सहयोग है। रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर भारत ने हमेशा संवाद और शांति का समर्थन किया है। जयशंकर अपने भाषण में संतुलित रुख अपनाते हुए यही संदेश दोहराएँगे।
भारत और Global South
भारत हमेशा से विकासशील देशों की आवाज़ रहा है। अफ्रीका और एशिया के देशों में भारत की मदद – चाहे स्वास्थ्य हो, शिक्षा या तकनीक – UNGA में भारत की विश्वसनीय छवि को मजबूत बनाती है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का इस बार UNGA में न जाना और विदेश मंत्री जयशंकर का भाषण देना यह दिखाता है कि भारत की विदेश नीति अब संस्थागत रूप से मजबूत हो चुकी है। यह केवल एक व्यक्ति पर निर्भर नहीं बल्कि एक टीम और सोच पर आधारित है। जयशंकर अपने अनुभव और स्पष्ट सोच के साथ दुनिया को यह बताएँगे कि भारत विश्व शांति, सतत विकास और वैश्विक सहयोग के लिए हमेशा अग्रणी रहेगा।
लेखक की राय: यह बदलाव भारत की कूटनीतिक परिपक्वता का संकेत है। अब भारत किसी भी मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सक्षम है, चाहे वहाँ प्रधानमंत्री हों या विदेश मंत्री।
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