शनिवार, 13 जनवरी 2024

पौधों में जल और खनिज लवण का परिवहन कैसे होता है ?

       पौधों में जल और खनिज लवण का परिवहन कैसे होता है ? 

             पौधों में जाइलम कोशिकाएं मौजूद होती है  जिसके द्वारा पौधों में जल तथा खनिज लवण मृदा अर्थात मिट्टी से पत्तियों तक परिवहन करते रहता है | पादप में जाइलम कोशिकाएं  , जड़ , तना तथा पत्तियों से जाइलम कोशिकाएं परस्पर जुड़कर संयोजी मार्ग बनाता है |


  जब जड़ो की कोशिकाएं मृदा से लवण प्राप्त करती है तो ये मृदा तथा जड़ के लवणों में सांद्रता में फर्क उत्पन्न करती है जिसके कारण निरंतर गति जाइलम में होती रहती है |इसमें परासरण दबाव उत्पन्न होता है जिसके फलस्वरूप जल और खनिज लवण एक कोशिका से दूसरे कोशिका में परासरण के कारण परिवहित होते रहता है | जब पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कारण जल की निरंतर ह्रास होता रहता है | जिसके कारण चूषक बल उतपन्न होता है जिसके फलस्वरूप पौधों में लवणोकि हमेशा गति होती रहती है और जल तथा लवणों का परिवहन होते रहता है | इस प्रकार पादपों में जल तथा खनिज लवणों का परिवहन होते रहता है | 


मंगलवार, 9 जनवरी 2024

मनुष्य में वहन तंत्र के घटक कौन कौन से है ? इन घटको के कार्य क्या है

  मनुष्य में वहन तंत्र के घटक कौन कौन से है ? इन घटको के कार्य क्या है ? 

       मनुष्य में वहन तंत्र के घटक कौन कौन है ? 

     मनुष्य में निम्नलिखित वहन तंत्र है 

    (i)  ह्रदय 

     (ii) रुधिर 

      (iii) रुधिर वाहिकाएँ 

     इन घटको के कार्य 

      (i)  ह्रदय -  ह्रदय मनुष्य के शरीर में एक पम्पिंग अंग है | ये मनुष्य के शरीर में पम्पिंग का कार्य करता है | ये मनुष्य के  शरीर में   रुधिर को प्रवाहित करता है | ह्रदय विऑक्सिजनित रुधिर को मनुष्य के शरीर के विभिन्न हिस्सो से प्राप्त करता है | तथा ऑक्सिजनित रुधिर को मनुषहिस्से शरीर के  पुरे हिस्से में पंप करता है |

  


  

  (ii) रुधिर  - रुधिर मनुष्य के शरीर में tतरल संयोजी उत्तक है , रुधिर में निम्न पदार्थ उपस्थित रहता है 

  ( a) प्लाज्मा  

  (b) लाल रक्त कनिका 

  (c) श्वेत रक्त कनिका 

  (d) प्लेटलेट्स  

           (a) प्लाज्मा - प्लाज्मा , मनुष्य के शरीर में तरल रूप में भोजन , कार्बन डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजनयुक्त उत्सर्जन पदार्थो का परिवहन करता है | 

           (b) लाल रक्त कनिका   - लाल रक्त कनिकाऐं  श्वशन गैसों तथा हार्मोनों का परिवहन करता है | 
          (c) श्वेत रक्त कनिका  -  श्वेत रक्त कणिकाएं मनुष्य की शरीर की रक्षा प्रणाली है जो संक्रमणो में मनुष्य को राक्षा करता है | 

           (d) प्लेटलेट्स   -  रुधिर प्लेटलेट्स भी मनुष्य के शरीर का अहम् हिस्सा है जो मनुष्य में रुधिर हानि को रोकता है | 

       जब मनुष्य घायल हो जाता है तो उस समय उसके शरीर के किसी भी हिस्से  से जब रक्त गिरने लगता है | तो उस समय  प्लेटलेट्स रक्त को थक्का बनाकर रक्त को गिरने से रोकती है |  

      (iii)  रुधिर वाहिकाएं  -  रुधिर वाहिकाओं का एक जाल होता है | जो मनुष्य के पुरे शरीर में परिवहन मे मदद करता है | 

       

    स्वपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण  में क्या अंतर है

शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

स्वपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में अन्तर क्या है ?

              स्वपोषी पोषण तथा  विषमपोषी पोषण में अन्तर क्या है ? 

   स्वपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अन्तर है ? 

          उत्तर  - स्वपोषी पोषण - जब हरा पौधा अपना भोजन के       लिए सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड तथा  जल की सहायता से अपना भोजन स्वयं बनता है तो वह स्वपोषी कहलाता है तथा इस  क्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहा जाता है | 

     विषमपोषी पोषण -  जब  जीव जन्तु अपना भोजन  स्वयं नहीं बना पाता है वह अपना भोजन के लिए किसी दूसरे पर निर्भर रहता है  विषमपोषी कहलाता है | 
   


          इसे भी जानें 

 1) पौधे या पादप प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री कहाँ से प्राप्त करता है ? 

            पादप को  प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए मुख्य         रूप से निम्नलिखित कच्चे सामग्री की आवश्यता होती है -


  (i)  कार्बन डाइऑक्साइड - पेड़ - पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया    के लिए कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2) वातावरण से पौधे अपने  रंध्रों के माध्यम से प्राप्त करता है |  

   (ii)  जल -  पादप अर्थात पेड़ -  पौधे  प्रकाश संश्लेषण की क्रिया     के लिए जल जड़ो द्वारा अवशोषण की क्रिया करके मृदा से प्राप्त   करता है तथा पत्तियों तक इसका परिवहन करता है | 


2) श्वशन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव कैसे लाभप्रद है ? 



   3) प्राकृतिक  संसाधन किसे कहते है  ? प्राकृतिक संसाधन के बारे में वर्णन करें 



     

गुरुवार, 4 जनवरी 2024

श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षाकृत स्थलीय जीव किस प्रकार लाभदायक है ?

    श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की  अपेक्षाकृत स्थलीय जीव किस प्रकार लाभदायक है  ?

    

श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की  अपेक्षाकृत स्थलीय जीव किस प्रकार लाभदायक है  ?

         
          
                वैसे जीव जो जल में निवास करता है वे जीव  अपने 
  यापन के लिए जल में घुली हुई ऑक्सीजन का प्रयोग करती है |     लेकिन जल  जल में घुली  हुई ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम 
 होती है इसलिए जलीय जीव में श्वशन की दर अधिक होती है |

                 जबकि स्थलीय जीव को देखे तो पर्याप्त ऑक्सीजन       वाले वातावरण में रहता है  | जो वातावरण से अपनी  श्वशन 
 अंगो के द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करता है | इसलिए इसका 
 श्वशन दर काफी कम होता है | 

               इसलिए हम कह सकते है श्वशन के लिए ऑक्सीजन           ग्रहण करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय
  जिव ज्यादा लाभप्रद होता है | 


जलीय जीवों की तुलना में स्थलीय जीवों को श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने में कई फायदे होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:

 * ऑक्सीजन की उपलब्धता:

   * स्थलीय जीव: हवा में ऑक्सीजन की सांद्रता लगभग 21% होती है, जो बहुत अधिक और स्थिर होती है। इससे स्थलीय जीवों को श्वसन के लिए प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन आसानी से मिल जाती है।
   * जलीय जीव: पानी में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा हवा की तुलना में बहुत कम होती है (लगभग 0.5% से 1% तक, तापमान और लवणता के आधार पर)। ठंडे पानी में अधिक ऑक्सीजन घुलती है, लेकिन फिर भी हवा की तुलना में काफी कम होती है। इसलिए, जलीय जीवों को ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए अधिक प्रयास करना पड़ता है।

 * गैस विनिमय की दक्षता:

   * स्थलीय जीव: स्थलीय जीवों (जैसे स्तनधारी) के फेफड़े सीधे हवा के संपर्क में होते हैं, जिससे गैस विनिमय (ऑक्सीजन लेना और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ना) बहुत कुशल होता है। फेफड़ों की सतह को नम रखने के लिए उन्हें केवल थोड़ी ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है।
   * जलीय जीव: जलीय जीवों (जैसे मछलियाँ) को अपने गलफड़ों से बड़ी मात्रा में पानी गुजारना पड़ता है ताकि उसमें से ऑक्सीजन को निकाला जा सके। पानी हवा की तुलना में सघन और अधिक चिपचिपा होता है, इसलिए पानी को गलफड़ों से गुजारने में अधिक ऊर्जा खर्च होती है।

 * ऑक्सीजन का परिवहन:

   * स्थलीय जीव: हवा में ऑक्सीजन का प्रसार पानी की तुलना में बहुत तेज होता है। फेफड़ों में ऑक्सीजन तेजी से रक्त में घुल जाती है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाई जाती है।
   * जलीय जीव: पानी में ऑक्सीजन का प्रसार धीमा होता है, जिससे जलीय जीवों को ऑक्सीजन को कुशलतापूर्वक अवशोषित करने के लिए विशेष अनुकूलन (जैसे बड़े और पतले गलफड़े) की आवश्यकता होती है।

 * तापमान का प्रभाव:

   * स्थलीय जीव: हवा में ऑक्सीजन की उपलब्धता तापमान से सीधे प्रभावित नहीं होती है।
   * जलीय जीव: पानी का तापमान बढ़ने पर उसमें घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है। गर्म पानी में जलीय जीवों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है, खासकर जब पानी में कार्बनिक पदार्थ अधिक हों और सूक्ष्मजीवों द्वारा ऑक्सीजन का उपभोग हो रहा हो।
संक्षेप में, स्थलीय जीव हवा में प्रचुर मात्रा में और आसानी से उपलब्ध ऑक्सीजन का लाभ उठाते हैं, जबकि जलीय जीवों को पानी में ऑक्सीजन की कम सांद्रता, इसके धीमे प्रसार और इसे कुशलतापूर्वक निकालने के लिए अधिक ऊर्जा खर्च करने की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।



          
     

विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव किन किन कारकों पर निर्भर करता है ?  

   

             किसी चालक तार का प्रतिरोध किन कारको पर  
             निर्भर   करता है ?