आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं सहायिकाओं के मानदेय में बढ़ोतरी : चुनावी माहौल में सरकार का बड़ा दांव
मानदेय वृद्धि का बड़ा ऐलान
बिहार में चुनावी हवा तेज होते ही सरकार ने आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं को बड़ी सौगात देने का ऐलान किया है।
👉 अब आंगनबाड़ी सेविकाओं का मानदेय ₹7,000 से बढ़ाकर ₹9,000 कर दिया गया है।
👉 वहीं आंगनबाड़ी सहायिकाओं का मानदेय ₹4,000 से बढ़ाकर ₹4,500 कर दिया गया है।
यह घोषणा लाखों परिवारों को प्रभावित करेगी और इसका सीधा असर महिलाओं के मनोबल और ग्रामीण इलाकों की राजनीति पर पड़ना तय है।
सरकार का तर्क – योगदान का सम्मान
सरकार का कहना है कि आंगनबाड़ी सेविकाएं और सहायिकाएं बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य व पोषण सुधार में अग्रणी भूमिका निभाती हैं।
- गांव-गांव में पोषण आहार वितरण
- बच्चों का टीकाकरण और शिक्षा
- गर्भवती महिलाओं की देखभाल
- महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी
इन सेवाओं को जमीनी स्तर तक पहुँचाने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का योगदान अविस्मरणीय है। ऐसे में मानदेय बढ़ाना उनके परिश्रम और समर्पण का सम्मान है।
चुनावी रणनीति या वास्तविक सुधार?
चुनावी मौसम में यह फैसला सिर्फ कल्याणकारी कदम है या वोट बैंक साधने की रणनीति? यह सवाल अब चर्चा में है।
- सरकार इसे महिलाओं के सशक्तिकरण और समाज के स्वास्थ्य सुधार की दिशा में नीतिगत कदम बता रही है।
- वहीं, विपक्ष का कहना है कि यह फैसला देर से लिया गया है और इसका उद्देश्य केवल वोटरों को लुभाना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का समूह ग्रामीण राजनीति में बेहद प्रभावशाली है और चुनाव नतीजों पर असर डाल सकता है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नाराजगी और उम्मीद
लंबे समय से आंगनबाड़ी सेविकाएं और सहायिकाएं मानदेय वृद्धि की मांग कर रही थीं।
- उन्हें लगता था कि उनकी मेहनत और जिम्मेदारियों के मुकाबले मानदेय बहुत कम है।
- कई बार धरना-प्रदर्शन भी हुए।
- अब इस बढ़ोतरी को वह अपनी जीत मान रही हैं, हालांकि कुछ कार्यकर्ता अभी भी इसे पर्याप्त नहीं मानतीं।
इससे साफ है कि यह फैसला उनका मनोबल बढ़ाने में मदद करेगा, लेकिन उनकी मांगें यहीं खत्म नहीं होंगी।
समाज पर असर
मानदेय वृद्धि से न सिर्फ सेविकाओं और सहायिकाओं को फायदा होगा बल्कि इसका असर पूरे समाज पर दिखाई देगा।
- सेविकाएं और अधिक समर्पण से काम करेंगी।
- बच्चों और गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ेगी।
- आंगनबाड़ी केंद्रों का कामकाज और मजबूत होगा।
राजनीतिक असर
बिहार चुनाव में यह मुद्दा गर्म रह सकता है।
- ग्रामीण इलाकों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का सीधा संपर्क जनता से होता है।
- उनका समर्थन किसी भी दल के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
- मानदेय बढ़ोतरी से सरकार ने एक बड़ा वोट बैंक साधने की कोशिश की है।
निष्कर्ष
आंगनबाड़ी सेविकाओं एवं सहायिकाओं के मानदेय में बढ़ोतरी सिर्फ एक आर्थिक निर्णय नहीं है। यह एक सामाजिक सुधार, महिला सशक्तिकरण और चुनावी रणनीति – तीनों का मिश्रण है।
चुनाव नजदीक हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार का यह कदम वास्तव में महिलाओं और बच्चों के जीवन स्तर में कितना सुधार करता है और राजनीति के मैदान में इसे जनता किस नजर से देखती है।
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