रविवार, 19 जुलाई 2020

सिद्ध करे कि v2 = u2 + 2as

वेग विस्थापन समीकरण

सिद्ध करे कि  v2 = u2 + 2as 


  
   

 माना कि कोई वस्तु u वेग से चलना प्रारंभ करती है |
और t समय के बाद उस वस्तु का वेग v हो जाता है | इस    दौरान  त्वरण a  उत्पन्न होता है |तथा वस्तु s दुरी तय करती है|
s =  समलंब  चतुर्भुज OABE  का  क्षेत्रफल
 समलंब चतुर्भुज  का क्षेत्रफल= 1/2(  समांतर  भुजाओं का योग) × (  उसके  बीच की दूरी) 

 अतः  समलंब  चतुर्भुज  OABE का क्षेत्रफल 

s = 1/2 × ( OA  +  BE ) × AC

S = 1/2 × ( OA  + OD ) × AC 

 s = 1 /2 × ( OA  + OD ) × ( AC/BC × BC )

s = 1/2× (  OB + OD ) × ( BE - CE / BC/AC )

 1/2 × ( OA + OD ) ( OD - OA / BC/AC ) 

1/2 ( OD2 - OA2 / BC/ AC ) 

1/2  ( v2 - u2 /a ) 

या s = 1/2 ( v2 - u2 /a) 
 या    2as = v2 - u2 
या  v2 = u2 + 2as  



सिद्ध करे कि s = ut + 1/2 at2

   विस्थापन समय समीकरण

  सिद्ध करे कि    s = ut + 1/2 at2


 माना कि कोई वस्तु u  वेग से  चलना प्रारंभ करती हैं और 30 समय के बाद उस वस्तु का वेग भी हो जाता है इस दौरान एक समान त्वरण ए उत्पन्न होता है तथा वस्तु  दूरी तय करती है तो सिद्ध करना है कि
 s =ut +1/2 at2 


             
 वेग समय  ग्राफ मे वस्तु एक निश्चित समय अंतराल  t में  घिरा क्षेत्र तय करता है  अर्थात इस समय अंतराल में विस्थापन देता है | अतः  समय  अंतराल t  मे  वस्तु का विस्थापन

  t = समलंब चतुर्भुज OABE का क्षेत्रफल 
     =   आयत OACE का क्षेत्रफल +  त्रिभुज ABC  का क्षेत्रफल
     = लंबाई ×  चौड़ाई +  1/2 आधार  × ऊंचाई
     = OA × OE + 1/2 AC × BC 
     = OA × OE + 1/2 OE × ( BC/AC × AC ) 
     = OA × OE + 1/2 OE × ( BC/AC × OE ) 
     = OA × OE + 1/2 × BC/AC ×OE2
 OA = u ,OE = t ,  और BC/ AC = ढाल = a 
   s  = u × t  1/2 at2
   s  =  ut + 1/2at2 
    


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गति समीकरण में सिद्ध करे कि v = u + at

     सिद्ध करे कि v = u + at 

   जहां   u  प्रारंभिक  वेग , v  अंतिम वेग  , a   त्वरण , t   समय


             माना कि कोई वस्तु u वेग से  चलना प्रारंभ     करती है और  t  समय के बाद उस वस्तु का वेग v     हो जाता है दौरान एक समान त्वरण a उत्पन्न होता   है |
    
                                                       समय

       वेग समय ग्राफ में  प्रारंभिक  वेग  ( initial           velocity )  OA = u 
      t  समय  बाद वस्तु का  वेग  अर्थात  अंतिम 
      वेग   (final  velocity ) OD = v 

           बिंदु B  से  समय अक्ष  पर BE   लंब डाला        गया है | और बिंदु A से BE   पर AC लंब है| 
  भौतिकी  की भाषा में BA को ढाल कहा जाता है | और a ढाल  त्वरण कहलाता  है | जिसे a से   सूचित     किया  जाता है |

            वेग समय ग्राफ में OD =BE = v 
           OE = t 
           OA = u  
           BA = a 
   अतः  वेग समय ग्राफ  में  रेखा AB  के लिए
       ढाल  = BC/ AC 
     या   a =  BE - CE / OE    ,  ( AC = OE) , 
     या  a =  OD - OA /OE  ,
                               ( BE = OD , CE = OA ) 
      या  a = v - u / t 
      या  at = v - u 


                या v = u + at  



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शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

त्वरण किसे कहते हैं? , एक समान त्वरण तथा असमान त्वरण की परिभाषा लिखें

     त्वरण किसे कहा जाता है    

                             त्वरण       

                समय  के साथ वेग मे  परिवर्तन की दर को कहा         त्वरण जाता है|
            यदि वेग धनात्मक आर्थात वेग बढ रहा होता है तो         त्वरण धनात्मक होती है | यदि  वेग  ऋणात्मक होती है | अर्थात वेग घट रहा होता है | तो  त्वरण ऋणात्मक होती है|

         त्वरण =  वेग में परिवर्तन// समय अंतराल  

                          या  a = v-u/t      

             
      त्वरण  का  एस आई मात्रक मीटर प्रति सेकंड प्रति               सेकंड   अर्थात    m/s2  है

                        एक  समान त्वरण -   

       जब  किसी वस्तु के वेग में बराबर समय अंतराल में चाहे    वह समय अंतराल कितना ही छोटा या बड़ा क्यों ना हो बराबर परिवर्तन होता है |तो उस  त्वरण एक समान त्वरण  कहा जाता है | इसे अचर तो त्वरण भी कह सकते हैं |

       जैसे   - किसी कार का वेग  एक  सेकेंड बाद 10 मीटर        पर सेकंड हैंड दूसरे सेकंड के बाद उस कार का वेग 20   m/s हो जाता है | तथा 3 सेकंड के बाद उस कार का वेग   30m/s हो जाता है | और आगे भी ऐसा ही रहता है | यहां  वेग की परिवर्तन की दर एक समान है |अतः इसका त्वरण    एकसमान होगा

        यदि वेग एक समान हो अर्थात वेग में परिवर्तन की दर        समान हो अर्थात परिवर्तन नहीं हो रहा हो तो त्वरण सुन्य  होगा|

                          असमान त्वरण -        

     जब  किसी वस्तु के वेग में बराबर समय अंतराल में चाहे   वह समय अंतराल कितना ही छोटा क्यों ना हो बराबर  परिवर्तन नहीं होता है तो उस त्वरण को असमान
    त्वरण  कहा जाता है
             जैसे किसी कार का वेग एक सेकेंड  बाद 5 मीटर      प्रति सेकंड है  |दूसरे सेकंड बाद उस कार का वेद 15 मीटर  प्रति सेकंड हो जाता है |तथा तीसरे सेकंड के बाद उस कार   का वेग 18 मीटर प्रति सेकंड हो जाता है |यहां कार का वेग  बराबर समय अंतराल में एक समान नहीं है|इस  प्रकार  हम  कह सकते हैं | कि इस कार का त्वरण असमान है|





बुधवार, 8 जुलाई 2020

चाल किसे कहते हैं ? औसत चाल , एक समान चाल , तथा असमान चाल की परिभाषा लिखें

     चाल  किसे कहते हैं ?  औसत चाल ,  एक  समान चाल ,  तथा असमान चाल की   परिभाषा लिखें          

                औसत चाल-    

          किसी  वस्तु द्वारा किसी समय अंतराल   में  तय  की गई  दूरी और उस समयअंतराल         के अनुपात को उस वस्तु का औसत चाल  कहा जाता है |

                       औसत चाल = 
   तय की गई  कुल दूरी/ दूरी तय  करने  में लगा समय


                  चाल -    

        किसी  वस्तु द्वारा एक छोटे समय अंतराल  में तय की गई दूरी और उस समय अंतराल के अनुपात को उस वस्तु की चाल कहा जाता है|
  चाल एक आदिश राशि है किसी  वस्तु की चाल हमेशा धनात्मक   होती है|


          एक समान चाल -    


           कोई  वस्तु किसी बराबर समय अंतराल  में बराबर दूरी तय करें चाहे वह समय अंतराल    कितना ही छोटा क्यों ना हो तो उस चाल को  एक समान चाल कहा जाता है |

            चाल =  दूरी / समय
  
         चाल का si मात्रक m/s  होता  है|


             असमान चाल -    

        जब  कोई वस्तु समान समय अंतराल में   असमान दूरी तय  करती है |तो उस चाल   को  असमान चाल  कहा जाता  है|

             इसे भी जाने
         त्वरण किसे कहते है
                           बल किसे कहते है
                 न्यूटन के गति के नियम को लिखें
           जड़त्व किसे कहते हैं ?



अदिश राशि और सदिश राशि की परिभाषा लिखें

      अदिश राशि और सदिश राशि किसे कहा  जाता  है?

                अदिश राशि -       


           वैसे  राशि जिसको पूर्ण रूप से व्यक्त   करने के लिए केवल परिमाण की आवश्यकता होती है |उस राशि को अदिश  राशि कहा जाता है |
            जैसे - समय द्रव्यमान आयतन घनत्व  ऊर्जा , कार्य ,ताप  इत्यादि इन  सभी राशियों
  में केवल  परिमाण है|

            सदिश राशि  -      


             वैसी भौतिक राशियां जिसको  व्यक्त   करने के लिए परिमाण और दिशा दोनों की        आवश्यकता होती है |उस राशि को सदिश  राशि कहा जाता है|
              जैसे -  विस्थापन , वेग ,त्वरण ,बल    इत्यादि
             सदिश राशियों को  एक तीर ( ➡️ )         चिन्ह द्वारा निरूपित किया जाता है जो उस        वस्तु की दिशा को बताता है

गति किसे कहते हैं गति कितने प्रकार के होते हैं ? लिखें

    गति किसे कहते हैं  गति  कितने प्रकार  होते हैं  ? लिखें                     

                     गति -      

         यदि किसी पदार्थ की स्थिति  अन्य  वस्तु  या पदार्थ की अपेक्षा समय के साथ  बदलती       है तो उस वस्तु या पदार्थ को गति में कहा  जाता है|

       गति कई प्रकार के होते हैं - 

           (1) रैखिक  गति -      


          वैसी गति जिसमें  कोई वस्तु सीधी या वक्र रेखा में चलती है उस गति को रैखिक गति कहा जाता है |
            जैसे - बंदूक  से छोड़ी गई गोली , ढाल  पर सरकता हुआ बालक इत्यादि|

           (2)  वृत्तीय गति  -      

         वैसे  गति जिसमें कोई वस्तु किसी वृत्तीय  पथ पर चलती है तो उस गति को वृत्तीय गति  कहा जाता है |

           जैसे - सूर्य की चारों ओर पृथ्वी की गति  पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति इत्यादि |
            (3)  दोलनी  गति -        
       वैसी गति जिसमें वस्तु एक निश्चित बिंदु के  आगे पीछे या ऊपर नीचे चलती है  |तो उस           गति को दोलनी गति कहा जाता है|
                 जैसे झूले की गति  दीवार घड़ी  के  पेंडुलम की गति इत्यादि |

           (4)   आवर्त गति        

            वैसी गति जिसमें वस्तु अपनी गति को  समय के एक निश्चित अंतरालो पर  दोहराती  रहती है  उस  गति को आवर्त गति   कहा जाता है|
               जैसे  सिलाई  मशीन की सुई की गति  इत्यादि| 
   
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मंगलवार, 7 जुलाई 2020

भौतिक राशियां किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं आधारी राशि और व्युत्पन्न राशि की परिभाषा लिखें

         भौतिक राशियां किसे कहते हैं यह कितने      प्रकार के होते हैं आधारी राशि और व्युत्पन्न  राशि की परिभाषा  लिखें

                   भौतिक राशियां -  

            भौतिकी  के नियमों को जिन पदों में व्यक्त किया          जाता है उन्हें भौतिक राशियां कहा जाता है |

                   जैसे लंबाई द्रव्यमान समय बन बाल इत्यादि 

                  भौतिक राशियों को भागो में बाटा गया है

             (1)   आधारी राशियां

             (2)  व्युत्पन्न राशियां

                 आधारी राशियां    

                 वैसे  भौतिक राशियां जो स्वतंत्र मानी जाती है उसे  आधारी राशि कहा जाता  है  |
                    जैसे - लंबाई , द्रव्यमान , समय इस सभी               राशि  हैं | आधारी राशि मानी जाती है आधारी राशियों   की संख्या सात  है |

                    व्युत्पन्न राशियां    

             वैसी भौतिक राशियां जिसको आधारी राशियों के  पदों में व्यक्त किया जाता है | आधारी राशियां कहलाती है |               
   जैसे - क्षेत्रफल , आयतन , बल ,  ऊर्जा  इत्यादि

                  क्षेत्रफल   = लंबाई ×  चौड़ाई 
         होता  है जिसे आधारी राशियों से ही बनाया गया है |

                       इसी प्रकार देखा जाए तो

          आयतन  =  लंबाई × चौड़ाई  × ऊंचाई

           होता  है जिसे  आधारी राशियों  की  सहायता  से  बनाया गया है | इसलिए हम कह सकते हैं |कि व्युत्पन्न   राशियां आधारी राशि पर ही निर्भर रहती है |

   


विज्ञान किसे कहते हैं ? वनस्पति विज्ञान कितने प्रकार के होते हैं

     विज्ञान किसे कहते हैं ? वनस्पति विज्ञान  कितने प्रकार के  होते हैं?

                                विज्ञान -  

            सावधानी पूर्वक और  क्रमबद्ध  तरीके से किए गए           प्रयोगों और परीक्षणों द्वारा प्राप्त ज्ञान को विज्ञान कहा  जाता है|

                  विज्ञान को  को  दो भागों में बांटा गया है

             (1) भौतिक विज्ञान           (2) जीव विज्ञान 

                             भौतिक विज्ञान  -  


        भौतिक    विज्ञान, विज्ञान की  वह शाखा है जिसके          अंतर्गत निर्जीव पदार्थों  और उससे संबंधित घटनाओं के   बारे में अध्ययन किया जाता है  |भौतिक विज्ञान कहलाता है  |

               भौतिक  विज्ञान को दो भागों में बांटा गया है|

                                (1)   भौतिकी  -   

      भौतिकी , भौतिक विज्ञान वह  शाखा है जिसके अंतर्गत        अजैय सृष्टि , ध्वनि , विद्युत,    ताप   इत्यादि पदार्थों का        अध्ययन किया जाता है | उसे भौतिकी कहा जाता है |
                इसके अंतर्गत प्राकृत जगत या उसकी भीतरी          क्रियाओं का अध्यन किया जाता है | जैसे काल , गति
   इत्यादि|
               भौतिकी का सिद्धांत ऊर्जा संरक्षण का नियम है |         इसके अनुसार समस्त ऊर्जा स्टीर होती है | सामुदाय
    की आंतरिक क्रियाओ के द्वारा इसे बढ़ाया या घटाया
   नहीं  जा सकता है | इसको सिर्फ और सिर्फ एक रुप से
  दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है अर्थात इसका         रूपांतरण किया जा सकता है|

                          (2 )रसायन शास्त्र  -  

           रसायन  शास्त्र भौतिक विज्ञान की शाखा है जिसके       अंतर्गत पदार्थों की संघटन गुण संरचना और प्रतिक्रियाओं  के दौरान हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है | रसायन  शास्त्र कहलाता है|
                     रसायन का शाब्दिक विन्यास   होता  है  -                   रस   + आयन   , जिसका  शाब्दिक अर्थ है रसो   (द्रव ) का अध्ययन  इसे  केंद्रीय या आधारभूत विज्ञान  भी कहा जाता है|

                                 जीव विज्ञान -  

                       जीव विज्ञान  विज्ञान  की शाखा है जिसके            अंतर्गत पेड़ पौधों तथा जीवो के बारे में अध्ययन किया  जाता है |जीव विज्ञान कहलाता है  |

                   जीव  विज्ञान का जनक अरस्तु को माना जाता   है वे महान वैज्ञानिक थे |

                   जीव विज्ञान को  दो भागों में बांटा गया है -

                         (1)वनस्पति विज्ञान -  


                  वनस्पति  विज्ञान जीव विज्ञान की वह शाखा
      है |के अंतर्गत पेड़ पौधे या वनस्पति के बारे में अध्ययन           किया जाता है | वनस्पति विज्ञान कहलाता है|

                         वनस्पति  विज्ञान के जनक ग्रीक महान            वैज्ञानिक  थियोफ्रेस्ट्स  थे

                        ( 2) प्राणी विज्ञान  -  

             प्राणी  विज्ञान जीव विज्ञान की वह शाखा     है जिसके अंतर्गत जीव जंतु या प्राणी   के बारे में   अध्ययन  किया जाता है प्राणी विज्ञान कहलाता है|


         

सोमवार, 6 जुलाई 2020

दैनिक जीवन में ऑक्सीकरण और अवकारण का प्रभाव

   दैनिक जीवन में ऑक्सीकरण और अवकारण      का प्रभाव

        दैनिक जीवन में ऑक्सीकरण और अवकरण  का   प्रभाव  निम्नलिखित है -


         भोजन  का पचना-    हमारे  भोजन  में मुख्य रूप से         कार्बोहाइड्रेट की मात्रा रहती है पाचन क्रिया के समय यह
  स्टार्च  अब  घटित हो कर ग्लूकोस का निर्माण करता है | जो       हमारे शरीर की कोशिकाओं में उपस्थित ऑक्सीजन द्वारा       ऑक्सीकृत होकर कार्बन डाइऑक्साइड और ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है |स्वास्थ्य छोड़ने के समय कार्बन डाइऑक्साइड गैस हमारे शरीर से बाहर निकल जाती है |
  और ऊर्जा हमारे शरीर का ताप कायम रखता है एवं हमारे       शारीरिक कार्य करने  में बल देता है |

    C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O +  ऊर्जा
   ग्लूकोस

          भोजन का दुर्गंधित होना -  हम  जानते हैं कि ताजी           भोजन की गंध एवं स्वाद प्रिय होते हैं | लेकिन जब  यही  भोजन को  खुली  वायु में लंबे समय तक छोड़ देते हैं |उसमें से दुर्गंध आने लगती इसके स्वाद एवं गंध अप्रिय   लगने  लगता है |

   कुछ उपाय करके  भोजन  को दूषित होने से बचाया जा        सकता है |
        घरों में  भोजन को रेफ्रिजरेटर में रख कर उसके             ऑक्सीकरण को कम किया जा सकता है |

      वसा युक्त भोजन में एक विशेष प्रकार की पदार्थ जिसे  एंटी ऑक्सीडेंट कहां जाता है को मिला देने से भोजन का       ऑक्सीकरण रुक जाता है |
     
                               इसे भी देखें
https://www.youtube.com/channel/UCtLt476T0I-t-mOTAHo30rA 


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रविवार, 5 जुलाई 2020

ऑक्सीकरण अभिक्रिया , अवकरण अभिक्रिया की परिभाषा लिखें

              निम्न   की परिभाषा लिखें 

     (1) ऑक्सीकरण  अभिक्रिया 

       (2) अवकरण अभिक्रिया 

                      ऑक्सीकरण अभिक्रिया - 


   वैसी  रासायनिक अभिक्रिया  जिसमें  किसी तत्व या   यौगिक से ऑक्सीजन का संयोग  या किसी योगिक से  हाइड्रोजन का निष्कासन होता है | तो उस रासायनिक  अभिक्रिया को ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहा जाता है |
              जैसे   -   किसी  तत्व से ऑक्सीजन का संयोग    जब  कार्बन को वायु या ऑक्सीजन मे जलाने पर कार्बन
    डाई क्साइड गैस का निर्माण होती है |

         C        +         O2        →        CO2
       कार्बन             ऑक्सीजन         कार्बन  डाई क्साइड

 इस  अभिक्रिया में कार्बन से ऑक्सीजन का संयोग होती है | इसलिए यह ऑक्सीकरण अभिक्रिया है |

                 यौगिक से हाइड्रोजन  का निष्कासन -   जब           हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को मैंगनीज डाई ऑक्साइड के  साथ गर्म किया जाता है | तो गर्म करने पर क्लोरीन गैस  निकलती है |
        4HCl + MnO2  → MnCl2 + 2H2O + Cl2 ↑

               इस अभिक्रिया अभिक्रिया  में HCl  से H  का           निष्कासन होता है | इसलिए इस  अभिक्रिया में एचसीएल  का ऑक्सीकरण होता है |

                           अवकरण अभिक्रिया -


           वैसी  रसायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी  तत्व या         योगीक  के साथ हाइड्रोजन का संयोग या किसी योगिक   से ऑक्सीजन का निष्कासन होता है |तो उस रसायनिक          अभिक्रिया को अवकरण अभिक्रिया कहा जाता है |
                    जैसे   -  किसी तत्व से हाइड्रोजन का संयोग           ऑक्सीजन के साथ  हाइड्रोजन का संयोग होने  से जल  का निर्माण होता है |

        2H2       +       O2           →         2H2O
      हाइड्रोजन          ऑक्सीजन                    जल

                  इस अभिक्रिया में अवकरण होने से जल का              निर्माण होता है |

         किसी यौगिक से ऑक्सीजन का निष्कासन -  जब तप्त
          क्यूप्रीक ऑक्साइड के ऊपर  हाइड्रोजन  गैस                    प्रवाहित  किया जाता है तो कॉपर धातु मुक्त होती है |
        CuO       +      H2        →       Cu      +       H2O

                   इस  अभिक्रिया में CuO  से ऑक्सीजन का               निष्कासन होता है | अतः इसमें का CuO  अवकारण  होता है|

                                    NOTE
                my YouTube channel video

              https://youtu.be/gs9tOsjB-xI 

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उदासीनीकरण अभिक्रिया,प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया की परिभाषा लिखें

              निम्न की परिभाषा लिखे

       (1) उदासीनीकरण  अभिक्रिया 

      (2) प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया

                    (1)  उदासीनीकर अभिक्रिया  -


      वैसी  रसायनिक अभिक्रिया जिसमे कोई आमल  किसी      भस्म के साथ अभिक्रिया करके लवण और जेल का निर्माण   करता है | उस  रासायनिक  अभिक्रिया  को उदासीनीकरण   अभिक्रिया कहा जाता है |

        HCl    +   NaOH    →     NaCl   +     H2O

              (2) प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया  - 


    वैसी  रसायनिक अभिक्रिया जो प्रकाश की उपस्थिति में          होता है| प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया कहलाता है |
जैसे      _   हाइड्रोजन और क्लोरीन गैस के ए मिश्रण को अंधेरे में        रखा जाता है |तो उनके बीच कोई अभिक्रिया नहीं होती है   |  लेकिन      जब मिश्रण को प्रकाश की उपस्थिति में रखा जाता है | तो वे दोनों परस्पर अभिक्रिया करके   हाइड्रोजन      क्लोराइड का निर्माण करती है | 

      H2          +           Cl2           →           2HCl

   हाइड्रोजन            क्लोरीन             हाइड्रोजन  क्लोराइड

 पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया का ही उदाहरण है|

 इसे भी देखें
https://youtu.be/8nTW7Phmtn4 


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एकल विस्थापन अभिक्रिया और उभय विस्थापन अभिक्रिया की परिभाषा लिखे

       एकल विस्थापन अभिक्रिया किसे कहते हैं ?

                    एकल विस्थापन अभिक्रिया 

          वैसी रसायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी यौगिक में ं        उपस्थित किसी परमाणु या परमाणु  की समूह को किसी        दूसरे परमाणु द्वारा विस्थापित कर दिया जाता है |    उस     रासायनिक अभिक्रिया को  एकल विस्थापन अभिक्रिया
   कहा जाता है |

           जैसे  -  जब कॉपर की एक प्लेट को सिल्वर नाइट्रेट          की जलीय विलियन में डाला जाता है तब सिल्वर कॉपर         द्वारा विस्थापित हो जाता है |

      Cu    +   2AgNO3   ➝    Cu(NO3)2  +  Ag

        उभय -  विस्थापन अभिक्रिया  किसे कहते हैं


                      उभय विस्थापन अभिक्रिया -

          वैसी रसायनिक अभिक्रिया जिसमें या दो से अधिक        यौगिक अपने आयन के आदान  प्रदान करके नए यौगिक
   का निर्माण करता  है | उसे उभय विस्थापन अभिक्रिया कहा     जाता है |

             जैसे   -  सिल्वर नाइट्रेट के बिलियन में सोडियम                           क्लोराइड का विलियन डाला जाता है | तो
         सिल्वर क्लोराइड और सोडियम  नाइट्रेट का निर्माण             होता है सिल्वर क्लोराइड सफेद अवक्षेप के रूप में    प्राप्त होता है |

      NaCl + AgNO3 ➝ AgCl  + NaNO3

                               NOTE
                            इसे  भी जाने
       क्लास 8 से लेकर 10th तक  के मैथ और साइंस 
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वियोजन अभिक्रिया या अपघटन अभिक्रिया किसे कहते हैं ?

    वियोजन अभिक्रिया  या  अपघटन अभिक्रिया         किसे कहा जाता है   ?

                       वियोजन  अभिक्रिया   -

        वैसे   रसायनिक अभिक्रिया जिसमे किसी  यौगीक के         बड़े  अणु के टूटने से दो या दो से अधिक  सरल  यौगिक       का निर्माण करता है |  जिसका  गुण मूल्य यौगिक के गुण      से बिल्कुल भिन्न होता है | उसे वियोजन अभिक्रिया कहा          जाता है |
                    इसे अपघटन अभिक्रिया भी कहा जाता है  |
    यह  अभिक्रिया वियोजन अभिक्रिया के बिल्कुल विपरीत        होती है|

   जैसे - कैल्शियम कार्बोनेट को गर्म करने पर वह अपघटित
  हो कर कैल्शियम ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड
  का निर्माण करता है|

           CaO3       →         CaO       +            CO2

   कैल्शियम  कार्बोनेट,    कैल्शियम ऑक्साइड    , कार्बन                                                                   डाइऑक्साइड

   कैल्शियम    ऑक्साइड को कली चूना भी कहा जाता है |
     जिसका उपयोग जिसका उपयोग सीमेंट के निर्माण में
       होता है |

                           NOTE

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शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

संयोजन अभिक्रिया क्या है , या संश्लेषण अभिक्रिया क्या है ?

संयोजन अभिक्रिया क्या है , या संश्लेषण अभिक्रिया क्या है ?

           संयोजन अभिक्रिया - 

वैसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमे दो या दो से अधिक पदार्थ परस्पर संयोग करके एक नए पदार्थ का निर्माण करता है और नए पदार्थ का गुण मूल पदार्थ के गुण से बिलकुल भिन्न होता है | संयोजन अभिक्रिया कहलाता है |
      इसे संश्लेषण अभिक्रिया भी कहा जाता है|

         इसे जानने के लिए हम आपको पूरा डिटेल में बताएँगे 

      जैसे -.

(1) दो तत्वों के बीच संयोजन अभिक्रिया -

कार्बन और ऑक्सीजन के बीच संयोग -

        जब कार्बन और ऑक्सीजन के बीच संयोग होता है|तो कार्बन डाईऑक्साइड   का निर्माण होता है |और प्राप्त कार्बन डाईऑक्साइड के  गुण कार्बन और ऑक्सीजन दोनों के गुण से बिलकुल भिन्न है   |

         C    +     O2    ➝    CO2
     कार्बन  ऑक्सीजन    कार्बन डाईऑक्साइड  

(2) एक तत्व और एक यौगिक के बीच संयोजन अभिक्रिया -

         कार्बन मोनो ऑक्साइड और ऑक्सीजन के बीच संयोग -

       कार्बन मोनोऑक्साइड ऑक्सीजन में जलकर  अर्थात ऑक्सीजन से संयोग कर कार्बन डाई ऑक्साइड  का निर्माण करता है |
      2CO     +      O2       ➝     2CO2 

Note -
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रासायनिक समीकरण की सिमाएँ ?

रासायनिक समीकरण की सिमाएँ ? 

                 रासायनिक समीकरण की सीमाएँ निम्नलिखित है -


 (1) रासायनिक समीकरणों से अभिकारकों   और  प्रतिफलों की भौतिक अवस्था ( जैसे ठोस , द्रव ,गैस ) की जानकारी नहीं हो पाती है |
   (2) अभिक्रिया के फलस्वरूप होने वाली उत्सर्जित या अवशोषित ऊष्मा की जानकारी रासायनिक समीकरण नहीं मिल पाती है | अर्थात रासायनिक समीकरण से हमें ये पता नहीं होता है | कि अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी है या ऊष्माशोषी |

 (3) रासायनिक समीकरण से हमें पता नहीं होता  है |कि अभिक्रिया किन दशाओं ( जैसे दाब , ताप , उत्प्रेरक , सांद्रण आदि की उपस्थिति ) में  संभव है | 
 (4) रासायनिक समीकरण से हमें यह जानकारी नहीं मिलती है की अभिक्रिया में अभिकारकों की वस्तुतः कितनी मात्राएँ खर्च हुई तथा प्रतिफल की कितनी मात्राओं का निर्माण हुआ |
 (5)सायनिक समीकरण से हमें अभिक्रिया की     वेग के सन्दर्भ में हमें कोई जानकारी प्राप्त नहीं   होती है |

 (6) कुछ रासायनिक अभिक्रियाएं विस्फोट के       साथ होती है |लेकिन रासायनिक समीकरण      से इस बात की कोई जानकारी नहीं होती है |

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रासायनिक समीकरण के उपयोग से लाभ

रासायनिक समीकरण के उपयोग से लाभ 

रासायनिक समीकरण के उपयोग के लाभ निम्नलिखित है -

 (1) किसी भी रासायनिक अभिक्रिया के समीकरण के रूप में निरूपण करना आसान होता है |ऐसा करने से समय की बचत होती है एवं लिखने के लिए भी कागज पर कम स्थान की जरुरत होती है |
(2) रासायनिक समीकरण की सहायता से प्रतिफल की एक निश्चित मात्रा के निर्माण के लिए आवश्यक अभिकारकों के द्रव्यमानो की गणना ठीक ठीक की जा सकती है |
(3) पुरे विश्व में एक ही प्रकार की रासायनिक संकेतो का उपयोग होता है |अतः वैज्ञानिको को रासायनिक समीकरण की जानकारी   प्राप्त करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होती है | 

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रासायनिक समीकरण से प्राप्त होनेवाली सूचनाएँ

रासायनिक समीकरण से प्राप्त होनेवाली सूचनाएँ
      रासायनिक समीकरण से हमें निम्नलिखित सूचनाएँ प्राप्त होती है - 
(1) रासायनिक समीकरण से हमें अभिकारकों      और प्रतिफलों के संकेत या सूत्र की जानकारी      देता है |
  (2) रासायनिक समीकरण से हमें यह पता चलता है की अभिक्रिया में कौन कौन से पदार्थ भाग ले रहा है | और अभिक्रिया के फलस्वरूप कौन कौन से पदार्थो का निर्माण होता है |
(3) यह अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारकों के परमाणुओं और अणुओ की आपेक्षिक संख्याओं की जानकारी देता है 
(4) यह अभिक्रिया के फलस्वरूप निर्मित प्रतिफलों के परमाणुओं एवं अणुओ की आपेक्षिक संख्याओं की जानकारी देता है |
(5) यह अभिकारकों और प्रतिफलों के मोलो के अनुपात की जानकारी देता है |
(6) रासायनिक समीकरण हमें यह बताता है की अभिकारकों और प्रतिफलों के द्रव्यमानो का अनुपात क्या है |
(7) रासायनिक समीकरण से गैसीय अभिकारकों और प्रतिफलों के आपेक्षिक आयतन की जानकारी प्राप्त होती है |
      जैसे 
समीकरण     N2     +     3H2     ➝ 2HN3 
               नाइट्रोजन      हाइड्रोजन    अमोनिया 
              2 परमाणु       6 परमाणु     2 अणु 
              1 मोल           3मोल          2मोल 
              28 ग्राम         6 ग्राम          34ग्राम 
              1 आयतन      3आयतन   2आयतन    
STP पर 
              1×22.4 लीटर , 3 ×22.4 लीटर 2×22.4लीटर

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