ग्रहण किसे कहते है
किसी खगोलीय पिंड का अंधकारमय हो जाना ग्रहण कहलाता है |
ग्रहण दो प्रकार के होता है
(1) चंद्रग्रहण
( 2 ) सूर्यग्रहण
(1) चंद्रग्रहण
जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है | तो उसे चंद्रग्रहण कहा जाता है | चंद्र ग्रहण आंशिक या पूर्ण हो सकती है | जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाती है | तो पूर्ण चंद्रग्रहण होता है | पूर्ण चंद्रग्रहण एक घंटा 40 मिनट तक का होता है | यह स्थिति तब होती है | जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी होती है | और तीनों एक ही रेखा में होती है | इस स्थिति को सिजगी भी कहा जाता है | यह स्थिति केवल पूर्णिमा को ही बनती है | अत: चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही होता है | जिन क्षेत्रों में पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देता है | वहां की स्थिति को प्रच्छाया कहते हैं | और जिन क्षेत्रों में अर्ध चंद्रग्रहण दिखाई देता है उन्हें उपछाया कहते हैं |
( 2 ) सूर्यग्रहण
जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाती है | तो पृथ्वी के जिन क्षेत्रों में चंद्रमा सूर्य को ढक लेती हैं | वहां सूर्य ग्रहण होता है | सूर्य ग्रहण आंशिक या पूर्ण हो सकती है |पूर्ण सूर्य ग्रहण में सूर्य का कोरोना भाग दिखाई देता है | सूर्य ग्रहण वर्ष में न्यूनतम 2 तथा अधिकतम 5 हो सकती है | सूर्य ग्रहण के दौरान अंधकारमय काल की अवधि अधिकतम 7 मिनट 40 सेकंड तक हो सकती है | औसतन यह अवधि 2.5 मिनट का होती है | सूर्य ग्रहण को कभी भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए क्योंकि सूर्य ग्रहण के समय कोरोना विकिरण से भी आँखे चले जाने का खतरा रहता है |
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