गुरुवार, 1 जुलाई 2021

ग्रहण किसे कहते है

 

        ग्रहण किसे कहते है 







 किसी खगोलीय पिंड का अंधकारमय  हो जाना ग्रहण कहलाता है | 

                ग्रहण दो प्रकार के होता है

               (1)   चंद्रग्रहण         

               ( 2 ) सूर्यग्रहण 

                          (1)   चंद्रग्रहण

 जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है  | तो उसे चंद्रग्रहण कहा जाता है |  चंद्र ग्रहण आंशिक या पूर्ण हो सकती है | जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाती है | तो पूर्ण चंद्रग्रहण होता है | पूर्ण  चंद्रग्रहण एक घंटा 40 मिनट तक का होता है | यह स्थिति तब होती है | जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी होती है | और तीनों एक ही रेखा में होती है | इस स्थिति को सिजगी  भी कहा जाता है | यह स्थिति केवल पूर्णिमा को ही बनती है | अत: चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही होता है | जिन क्षेत्रों में पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देता है | वहां की स्थिति को प्रच्छाया  कहते हैं |  और जिन क्षेत्रों में अर्ध  चंद्रग्रहण दिखाई देता है उन्हें उपछाया  कहते हैं |  

                       ( 2 ) सूर्यग्रहण 

 जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाती है |  तो  पृथ्वी के जिन क्षेत्रों में चंद्रमा सूर्य को ढक लेती हैं | वहां सूर्य ग्रहण होता है | सूर्य ग्रहण आंशिक या पूर्ण हो सकती है |पूर्ण सूर्य ग्रहण में सूर्य का कोरोना भाग दिखाई  देता है  | सूर्य ग्रहण   वर्ष में न्यूनतम 2 तथा अधिकतम 5  हो सकती है  | सूर्य ग्रहण के दौरान अंधकारमय काल की अवधि   अधिकतम 7 मिनट 40 सेकंड तक हो सकती है |  औसतन यह अवधि 2.5 मिनट का होती है |  सूर्य ग्रहण को कभी भी नग्न  आंखों से नहीं देखना चाहिए क्योंकि  सूर्य ग्रहण के समय कोरोना विकिरण   से भी आँखे चले जाने का खतरा रहता है | 


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