शनिवार, 3 जुलाई 2021

वायुमंडल किसे कहते है,आयन मंडल किसे कहते है , क्षोभ मंडल किसे कहते है ,सम मंडल किसे कहते है, समताप मंडल किसे कहते है , विषम मंडल किसे कहते है , मध्य मंडल किसे कहते है

 

     वायुमंडल किसे कहते है 





 वायुमंडल एक प्रकार का गैसीय  आवरण है जो पृथ्वी के चारों ओर व्याप्त है |  इसमें कई प्रकार के गैसों का मिश्रण है | जो पृथ्वी की आकर्षण शक्ति के कारण इसके चारों ओर टिका हुआ है | वायुमंडल की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है | इस प्रकार वायुमंडल संपूर्ण प्रकृति के अस्तित्व के साथ साथ है | मानव जीवन के अस्तित्व के लिए भी अनिवार्य तत्व है | वायुमंडल के कुल द्रव्यमान का 99% पृथ्वी की सतह से 32 किमी की ऊंचाई तक स्थित है | 

                   वायुमंडल का संघटन

 वायुमंडल गैसों जलवाष्प एवं धुलकणों से मिलकर बना है 

                               गैस

 वायुमंडल में कई प्रकार के गैसों का मिश्रण है |  गैसों का अनुपात निश्चित होता है |  परंतु ऊंचाई के साथ साथ  इन गैसों का अनुपात में अंतर भी दिखाई देता है | वायुमंडल के निचले स्तर में भारी गैस जैसे कार्बन डाइऑक्साइड,  ऑक्सीजन , नाइट्रोजन आदि तथा ऊपरी स्तर में हल्की गैस जैसे हिलियम ,  नियॉन ,  क्रिप्टन आदि पाई जाती है |  ऑक्सीजन की मात्रा 120 किमी की ऊंचाई पर नगन हो जाती है | इसी प्रकार कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी की सतह से 90 किमी की ऊंचाई तक ही  पाई जाती है |

 कार्बन डाइऑक्साइड गैस सौर विकिरण के लिए प्रवेश्य है |  लेकिन पार्थिव विकिरण के लिए  अप्रवेश्य है | जिसके कारण यह ग्रीन हाउस प्रभाव के के लिए जिम्मेदार हैं | और वर्तमान समय में जीवाश्म ईंधन के दहन के कारण इसकी मात्रा बढ़ रही है  | ओजोन 10 से 50 किमी के बीच पाई जाती है | जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर  पृथ्वी पर आने से रोकती है  |  


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                              जलवाष्प 

 जलवाष्प वायुमंडल का सर्वाधिक परिवर्तनशील तत्व है | जो धरातल के निकट इसकी मात्रा 1% से 4% तक पाई जाती है | पृथ्वी तल पर जलिए क्षेत्रों , मिट्टियो तथा वनस्पतियों के  वाष्पीकरण के द्वारा वायुमंडल में  जलवाष्प पहुंचती है | जलवाष्प की मात्रा तापमान तथा ऊंचाई से भी प्रभावित होती है | भूतल से 5 किमी की ऊंचाई तक वायुमंडल में समस्त जलवाष्प  का 90% भाग रहता है |  पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर जलवाष्प की मात्रा घटती जाती है | जल वाष्प के कारण ही सभी प्रकार के संघनन तथा वर्षण ,  बादल ,  तुषार , हीम , ओस  आदि का सृजन होता है | 

                             धूलकण

 वायुमंडल में छोटे-छोटे ठोस कणों को रखने की क्षमता होती है | धूल कण प्राया वायुमंडल के निचले भाग में उपस्थित होता है | फिर भी  इसे संवहनीय वायु प्रवाह के द्वारा काफी ऊंचाई तक ले जा सकती है |

 धूल कणों का सबसे अधिक जमाव उपोष्ण और शीतोष्ण  प्रदेशो में शुष्क हवा के कारण   होता है | जो  विषुवत और ध्रुवीय प्रदेशों की तुलना में  अधिक मात्रा में होता है | 

               वायुमंडल का रासायनिक संघटन

 रासायनिक संघटन के दृष्टिकोण से वायुमंडल को दो भागों में बांटा गया है

   ( 1) सममण्डल 

   (2)  विषम मण्डल 

                        ( 1) सममण्डल

 वायुमंडल के इन परतों में उपस्थित गैसों के अनुपात में कोई भी परिवर्तन नहीं होता है | इसलिए इसे  सममण्डल कहा जाता है |

 सममंडल की रचना मुख्य रूप से ऑक्सीजन नाइट्रोजन आर्गन कार्बन डाइऑक्साइड आदि गैसों से हुई है | इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 80 किमी की ऊंचाई तक पाई जाती है |

 तापमान के आधार पर इस मंडल को तीन  उपमंडलों में वर्गीकृत किया गया है  | 

   (1) क्षोभमंडल 

   (2)  समताप मंडल 

    (3)  मध्य मंडल  

                 (2)  विषम मण्डल 

 इस मंडल में गैसीय  संगठन में विषमता पाई जाती है | इसलिए इसे विषम मंडल कहा जाता है |

  सम मंडल से 80 किमी से ऊपर विषम मंडल का विस्तार है | इसमें आयन मंडल तथा ब्रह्मा मंडल को शामिल किया जाता है |

         विषम मंडल को 4 भागों में बांटा जा सकता है

 (1)  पहली परत में नाइट्रोजन गैस का विस्तार है जो 80 से 200 किमी के बीच फैली हुई है |

 (2)  नाइट्रोजन भारत के ऊपर परमाण्विक ऑक्सीजन परत पाई जाती है जो 200 से 1100 किमी के बीच के बीच फैली हुई है |

 ( 3)  तीसरी परत हीलियम परत है जो 1100 से 1700 किमी के बीच  फैली हुई है |

 (4)  ऊपरी परत हाइड्रोजन परत है जिसका विस्तार 1700 से  2600 किमी के बीच है |

                        वायुमंडल की संरचना

 वायुमंडल की संरचना को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है  |    

                               क्षोभमंडल 

क्षोभमंडल वायुमंडल की सबसे निचली परत है | जो 8 से 18 किमी तक स्थित है   | क्षोभमंडल  की ऊंचाई विषुवत रेखा पर अधिक और योग्य भागों में कम पाई जाती है  | यह भिन्नता संवहन  के कारण होती है | क्षोभमंडल  की ऊंचाई में ऋतूवत  परिवर्तन होता है  | जाड़े की अपेक्षा गर्मी में इसकी सीमा ऊंची हो जाती है | वायुमंडल में उपस्थित गैसों का 95% क्षोभमंडल में पाया जाता है | धरातल में पाए जाने वाले जीवो का संबंध इसी मंडल से है | शीत ध्रुवो को छोड़कर   क्षोभमंडल    में ऊंचाई के साथ तापमान में कमी आती है  | ऊंचाई के साथ तापमान में प्रति 1 किमी में 6.5 डिग्री सेल्सियस की कमी आती है |

क्षोभमंडल में मौसमी घटनाओं का विशेष महत्व है | कोहरा बादल ओला तुषार आंधी तूफान मेघ गर्जन विद्युत प्रकाश सभी घटनाएं इसी मंडल में घटित होती है | 

                        समतापमंडल 

 समताप मंडल समुद्र तल से 50 किमी की ऊंचाई तक फैला हुआ है | धरातल से लगभग 30 किमी की ऊंचाई पर संक्रमण पेटी पाई जाती है | इस  पेटी  के ऊपर तापमान ऊंचाई के साथ तीव्र गति से ऊपर उठता है  | 

 ग्रीष्म ऋतु में समताप मंडल के तापमान में अक्षांशों के साथ वृद्धि ध्रुव तक बनी रहती है | लेकिन शीत ऋतु में 50°  से 60°  अक्षांश के बीच समताप मंडल सबसे अधिक गर्म रहता है 60° अक्षांश से ध्रुवों की ओर तापमान पुन: घट जाता है | इस मंडल की मोटाई ध्रुवों पर सबसे अधिक होती है | तथा कभी-कभी विषुवत रेखा पर  समताप मंडल बिल्कुल समाप्त हो जाता है | 

 सामान्यत: है यहां पर बादल नहीं पाए जाते हैं लेकिन कभी-कभी जलवाष्प की उपस्थिति के कारण दुर्लभ बादल जैसे मदर ऑफ पर्ल मेघ देखने को मिलती है | बादल  और जलवाष्प के अभाव एवं ऊर्ध्वाधर  पवनो की अनुपस्थिति के कारण यह पवन जेट विमानों की उड़ान हेतु उपयुक्त होती हैं | इस मंडल के निचले भाग अर्थात 20 किमी की ऊंचाई तक तापमान लगभग स्थिर रहता है | लेकिन ऊपरी भाग में 50 किमी की ऊंचाई तक तापमान क्रमश: बढ़ता है |  क्योंकि समताप मंडल में ओजोन परत पाई जाती है | और यह ओजोन परत सूर्य से पृथ्वी की ओर आने वाली हानिकारक पराबैंगनी  किरणों को सोख कर  पृथ्वी पर उपस्थित जीव की रक्षा करती है | समताप मंडल के ऊपर समताप सीमा पाई जाती है | जो समताप मंडल को मध्य मंडल से अलग करती है | 

                            मध्य मंडल

 मध्य मंडल का विस्तार   समताप सीमा से 50 किमी से 80 किमी की ऊंचाई तक पाया जाता है | मध्य मंडल में ऊंचाई के साथ तापमान में कमी आती है | यहां पास न्यूनतम तापमान -90  डिग्री सेल्सियस होती है | तथा कभी-कभी 80 किमी की ऊंचाई पर न्यूनतम तापमान -100 डिग्री सेल्सियस के आसपास पाया जाता है | मध्य मंडल की ऊपरी सीमा जिसके ऊपर जाने पर तापमान में वृद्धि होती है मध्य सीमा कहलाती है | मध्य मंडल में ऊंचाई के साथ-साथ वायुदाब में कमी आती है  | यहां 50 किमी की ऊंचाई पर एक मिलीबार वायुदाब तथा 90 किमी की ऊंचाई पर 0.01 मिलीबार दे पाया जाता है | 

              ताप मण्डल या उष्णमण्डल 

 मध्य सीमा के ऊपर  ( 80 किमी से ऊपर अनिश्चित ऊंचाई तक ) वाला वायुमंडलीय भाग  ताप मण्डल या उष्णमण्डल  कहलाता है | तापमंडल के निचले हिस्से में  ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन पाई जाती है  |  लेकिन 200 किमी की ऊंचाई पर आणविक  ऑक्सीजन की मात्रा आणविक नाइट्रोजन से अधिक हो जाती है | 

 ताप मंडल में ऊंचाई के साथ साथ तीव्र गति में तापमान में वृद्धि होती है |  तथा 350 किमी की   ऊंचाई   पर 1200° K  तापमान पाया जाता है |  इतना ऊंचा तापमान होने के कारण आणविक ऑक्सीजन द्वार 0.2 um  माइक्रोन से छोटे तरंगदैर्ध्य  वाली पराबैगनी किरणों का अवशोषण होता है | साथ ही आने वाली लघु तरंग किरणों को पुनः विकिरण करने में असक्षम होता है | इसकी ऊपरी सीमा तक तापमान बढ़कर 1700° K  हो जाता है | 

                          आयन मंडल

 आयन मंडल में व्याप्त  ऊंच विद्युत चालकता ही रेडियो तरंगों को पृथ्वी की ओर वापस परावर्तित करते हैं | इसका विस्तार 80 से 640 किलोमीटर की ऊंचाई तक है | यहां पर उपस्थित गैस के कारण विद्युत आवेशित होती है | आयन मंडल में उत्तरी ध्रुवीय ज्योति तथा दक्षिणी ध्रुवीय ज्योति देखने को मिलती है | ध्रुवीय ज्योति उच्च अक्षांशीय  तथा उप ध्रुवीय प्रदेशों की एक महत्वपूर्ण घटना है | इसकी उत्पत्ति सूर्य से आने वाली आवेशित कणों की पृथ्वी की ओर आने के कारण चुंबकीय क्षेत्र में 100 किमी ऊंचाई पर होती है |

     ध्रुवीय  ज्योति का सौर गतिविधियों के साथ  व्युत्क्रम  संबंध है | 

              ब्राह्ममण्डल  एवं चुंबकीय मंडल

ब्राह्ममण्डल  एवं चुंबकीय मंडल  का विस्तार अनंत है | और इसकी ऊपरी परत अंतरिक्ष में विलीन हो जाती है | तथा इसकी  वायु बहुत ही विरल है | यहां केवल सौर वायु द्वारा प्राप्त इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन के कण पाए जाते हैं | आवेशित कण 3000 से 16000 किमी के बीच  दो पट्टीयों में सकेंद्रित रहते हैं |  इसे वैैन  ऐलन  विकिरण पट्टी कहते हैं |

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