विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव किन कारको पर निर्भर करता है ?
विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव (जिसे जूल का तापन नियम भी कहते हैं) मुख्य रूप से तीन कारकों पर निर्भर करता है:
* विद्युत धारा की मात्रा (Current, I): जितनी अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होगी, उतनी ही अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी। ऊष्मा की मात्रा धारा के वर्ग के समानुपाती होती है (H \propto I^2)। इसका मतलब है कि अगर आप धारा को दोगुना करते हैं, तो उत्पन्न ऊष्मा चार गुना हो जाएगी।
* चालक का प्रतिरोध (Resistance, R): चालक का प्रतिरोध जितना अधिक होगा, उतनी ही अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी। ऊष्मा की मात्रा प्रतिरोध के समानुपाती होती है (H \propto R)। उच्च प्रतिरोध वाले तार, जैसे कि हीटर में उपयोग होने वाले तार, अधिक ऊष्मा उत्पन्न करते हैं।
* धारा प्रवाह का समय (Time, t): जितने अधिक समय तक विद्युत धारा प्रवाहित होती है, उतनी ही अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी। ऊष्मा की मात्रा समय के समानुपाती होती है (H \propto t)।
इन तीनों कारकों को मिलाकर जूल के तापन नियम का सूत्र बनता है:
H = I^2 Rt
जहाँ:
* H उत्पन्न ऊष्मा है (जूल में)
* I विद्युत धारा है (एम्पियर में)
* R चालक का प्रतिरोध है (ओम में)
* t समय है (सेकंड में)
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