एक झटके में ख़त्म होगा दुश्मन! भारत बना रहा बंकर बस्टर मिसाइल, अमेरिका भी देखेगा!
अग्नि-V: भारत का नया पारंपरिक ब्रह्मास्त्र - एक गेम-चेंजिंग मिसाइल!
भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार बढ़ा रहा है और इसी कड़ी में एक बड़ी खबर सामने आई है: भारत अपनी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-V का एक नया, बेहद शक्तिशाली पारंपरिक (गैर-परमाणु) संस्करण विकसित कर रहा है. यह मिसाइल इतनी खतरनाक होगी कि यह दुश्मन के सबसे मजबूत और गहरे बंकरों को भी पलक झपकते ही तबाह कर सकती है. खास बात यह है कि इसका वारहेड अमेरिका के सबसे भारी बंकर बस्टर से भी तीन गुना ज्यादा वजनी होगा. आइए जानते हैं इस गेम-चेंजिंग मिसाइल के बारे में विस्तार से।
अग्नि-V का नया अवतार: क्या है खास?
भारत की सबसे उन्नत इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-V को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। इसका मौजूदा परमाणु संस्करण 7,000 किलोमीटर से अधिक की रेंज रखता है, जिससे यह चीन, पाकिस्तान और यूरोप के कई हिस्सों तक पहुंचने में सक्षम है।
अब, भारत एक नया पारंपरिक संस्करण विकसित कर रहा है। इसमें एक भारी 7.5 टन का वारहेड होगा। भारी पेलोड के कारण इसकी रेंज 2000-2500 किलोमीटर तक सीमित होगी, लेकिन इसकी मारक क्षमता बेजोड़ होगी।
वारहेड के प्रकार: एयरबर्स्ट और बंकर-बस्टर
यह नया संस्करण दो तरह के वारहेड के साथ आ रहा है, जो इसे बेहद बहुमुखी बनाते हैं:
* एयरबर्स्ट वारहेड: यह वारहेड हवा में ही फटता है और इसका काम बड़े क्षेत्र में फैले जमीनी ढांचों को तबाह करना है। इसका उपयोग दुश्मन के हवाई अड्डों, रडार स्टेशनों और बड़े सैन्य ठिकानों को निष्क्रिय करने के लिए किया जाएगा। कल्पना कीजिए, एक ही झटके में पूरा हवाई अड्डा निष्क्रिय हो जाए, विमान नष्ट हो जाएं! यह एयरबर्स्ट वारहेड दुश्मन की सैन्य ताकत को तुरंत कमजोर कर सकता है।
* बंकर-बस्टर वारहेड: यह वह वारहेड है जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। इसे विशेष रूप से 80-100 मीटर गहरे भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका इस्तेमाल दुश्मन के परमाणु हथियारों के भंडार, कमांड सेंटर और अन्य महत्वपूर्ण भूमिगत सुविधाओं को निशाना बनाने के लिए होगा। यह वारहेड कठोर कंक्रीट और स्टील की संरचनाओं को भेद सकता है, जिससे यह अत्यधिक प्रभावी बन जाता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह अमेरिका की GBU-57 मासिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) से भी तीन गुना ज्यादा भारी होगा!
तकनीक और गति: अग्नि-V की अदम्य शक्ति
* रेंज: जैसा कि बताया गया है, इसकी रेंज 2000-2500 किलोमीटर तक होगी, जो भारी वारहेड ले जाने के कारण है।
* लॉन्च सिस्टम: यह मिसाइल कैनिस्टर-लॉन्च सिस्टम का उपयोग करती है। इसका मतलब है कि इसे सड़क या रेल के जरिए कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है और किसी भी मौसम या इलाके में लॉन्च किया जा सकता है, जिससे यह बेहद लचीला बन जाता है।
* नेविगेशन: अग्नि-V में रिंग लेजर गायरोस्कोप और नाविक/GPS आधारित नेविगेशन सिस्टम है, जो इसे 10 मीटर से भी कम की सटीकता (CEP) प्रदान करता है, यानी यह अपने लक्ष्य पर बेहद सटीक तरीके से वार करती है।
* सामग्री: मिसाइल में हल्के कंपोजिट मटेरियल का इस्तेमाल किया गया है, जिससे इसका वजन 20% तक कम हो गया है और इसकी रेंज भी बढ़ जाती है।
* गति: इसकी गति सबसे चौंकाने वाली है। यह मिसाइल मैक 24 (लगभग 29,400 किमी/घंटा) की रफ्तार से उड़ सकती है, जो इसे दुनिया की सबसे तेज मिसाइलों में से एक बनाती है।
विकास की स्थिति और मिशन दिव्यास्त्र
यह मिसाइल अभी शुरुआती विकास चरण में है। DRDO ने इसका डिजाइन और इंजीनियरिंग का काम शुरू कर दिया है, लेकिन पहला परीक्षण अभी बाकी है। हालांकि, मार्च 2024 में 'मिशन दिव्यास्त्र' में अग्नि-V के मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) वैरिएंट का सफल परीक्षण किया गया था। MIRV तकनीक का मतलब है कि एक ही मिसाइल कई अलग-अलग लक्ष्यों पर वारहेड गिरा सकती है। इस सफलता ने भारत की तकनीकी क्षमता को साबित कर दिया है और इस नई तकनीक का उपयोग पारंपरिक संस्करण में भी हो सकता है।
क्षेत्रीय देशों पर प्रभाव: पाकिस्तान और चीन
अग्नि-V का यह नया संस्करण भारत की सैन्य रणनीति में एक बड़ा बदलाव लाएगा और क्षेत्रीय देशों, खासकर पाकिस्तान और चीन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा।
पाकिस्तान पर प्रभाव:
2000-2500 किमी की रेंज के साथ, यह मिसाइल पूरे पाकिस्तान को अपने दायरे में ले सकती है। खासकर इसका बंकर-बस्टर वारहेड पाकिस्तान के किराना हिल्स जैसे भूमिगत परमाणु ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम होगा। एयरबर्स्ट वारहेड का इस्तेमाल करके भारत पाकिस्तान के हवाई अड्डों, जैसे पेशावर, कराची या इस्लामाबाद के सैन्य हवाई अड्डों को निष्क्रिय कर सकता है, जिससे उसकी वायुसेना कमजोर होगी।
यह मिसाइल भारत की 'नो-फर्स्ट-यूज़' (No-First-Use) नीति को मजबूत करेगी, लेकिन साथ ही यह स्पष्ट संदेश देगी कि भारत किसी भी हमले का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की अबाबील मिसाइल (2200 किमी रेंज) की MIRV क्षमता का दावा भारत की अग्नि-V के सामने अभी भी काफी पीछे है।
चीन पर प्रभाव:
2000-2500 किमी की रेंज के कारण यह मिसाइल चीन के पूर्वी तट (जैसे शंघाई, बीजिंग) तक तो नहीं पहुंचेगी, जो अग्नि-V के परमाणु संस्करण (7,000 किमी) का लक्ष्य है। लेकिन यह तिब्बत, यूनान और शिनजियांग जैसे क्षेत्रों में चीनी सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकती है।
बंकर-बस्टर वारहेड का इस्तेमाल चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास भूमिगत ठिकानों, जैसे कमांड सेंटर या मिसाइल डिपो को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है। चीन ने अग्नि-V को पहले ही 8000 किमी रेंज वाला ICBM माना है। इस नए संस्करण को वह भारत की बढ़ती सैन्य ताकत के रूप में देखेगा, जिससे क्षेत्रीय हथियारों की दौड़ तेज हो सकती है। हालांकि, चीन की DF-41 और DF-17 जैसी मिसाइलें अभी भी भारत के लिए चुनौती हैं।
निष्कर्ष: भारत का बढ़ता सामरिक दबदबा
अग्नि-V का यह पारंपरिक वैरिएंट भारत की रक्षा रणनीति में एक क्रांतिकारी बदलाव है। यह पहली बार है जब भारत ने अग्नि-V को पारंपरिक वारहेड के साथ विकसित करने की योजना बनाई है। यह भारत की रणनीति को परमाणु हथियारों से परे ले जाता है और पारंपरिक युद्ध में सटीक हमलों की क्षमता बढ़ाता है। 7.5 टन का यह वारहेड अमेरिका की GBU-57 से भी तीन गुना भारी है, जिससे यह दुनिया की सबसे शक्तिशाली पारंपरिक मिसाइलों में से एक होगी।
10 मीटर से कम CEP (सर्कुलर एरर प्रोबेबल) के साथ, यह मिसाइल अत्यधिक सटीक है, जिससे यह छोटे और कठोर लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम है। यह मिसाइल भारत को पाकिस्तान और चीन के खिलाफ एक मजबूत पारंपरिक अवरोधक (deterrent) प्रदान करेगी। यह भारत के न्यूक्लियर ट्रायड (जमीन, हवा, समुद्र) को पूरक करेगा और क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा।
DRDO अग्नि-VI पर भी काम कर रहा है, जिसकी रेंज 8000-12000 किमी होगी और यह 10 MIRV वारहेड ले जा सकेगी। इसके अलावा, भारत K-4 और K-15 सागरिका जैसी सबमरीन-लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइलों पर भी काम कर रहा है, जो उसकी नौसैनिक ताकत को बढ़ाएगी।
कुल मिलाकर, ये सभी विकास भारत को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित कर रहे हैं। ये न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाते हैं, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन और वैश्विक भू-राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस नई मिसाइल के बारे में आपकी क्या राय है? अपनी राय कमेंट सेक्शन में जरूर दें!
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