मंगलवार, 10 जून 2025

मनुष्य में वहन तंत्र के घटक कौन कौन से है ? इन घटको के कार्य क्या है ?

मनुष्य में वहन तंत्र के घटक कौन कौन से है ? इन घटको के कार्य क्या है ? 

मनुष्य में वहन तंत्र के घटक कौन कौन से है ? इन घटको के कार्य क्या है ? 


मनुष्य में वहन तंत्र, जिसे संचार प्रणाली (Circulatory System) भी कहते हैं, शरीर में विभिन्न पदार्थों के परिवहन का कार्य करता है। इसके मुख्य घटक निम्नलिखित हैं:

1. रक्त (Blood):

 * कार्य:

   * ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का परिवहन: फेफड़ों से ऑक्सीजन और छोटी आंत से अवशोषित पोषक तत्वों को शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुंचाता है।

   * कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट पदार्थों का परिवहन: कोशिकाओं से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को गुर्दे और फेफड़ों तक ले जाता है ताकि उन्हें शरीर से बाहर निकाला जा सके।

   * हार्मोन का परिवहन: अंतःस्रावी ग्रंथियों (endocrine glands) द्वारा स्रावित हार्मोन को उनके लक्ष्य अंगों तक पहुंचाता है।

   * तापमान का विनियमन: शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है।

   * संक्रमण से बचाव: सफेद रक्त कोशिकाएं (WBCs) और एंटीबॉडी शरीर को संक्रमण से बचाते हैं।

   * थक्का जमना: प्लेटलेट्स (platelets) चोट लगने पर रक्त का थक्का बनाने में मदद करते हैं, जिससे रक्तस्राव रुकता है।

2. रक्त वाहिकाएँ (Blood Vessels):

ये नलिकाएँ हैं जिनके माध्यम से रक्त पूरे शरीर में प्रवाहित होता है। ये तीन मुख्य प्रकार की होती हैं:

 * धमनियां (Arteries):

   * कार्य: हृदय से ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के विभिन्न अंगों तक ले जाती हैं (फुफ्फुसीय धमनी को छोड़कर, जो हृदय से फेफड़ों तक ऑक्सीजन रहित रक्त ले जाती है)। इनकी दीवारें मोटी और लचीली होती हैं ताकि हृदय के पंपिंग दबाव को सहन कर सकें।

 * शिराएँ (Veins):

   * कार्य: शरीर के विभिन्न अंगों से कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त को वापस हृदय तक ले जाती हैं (फुफ्फुसीय शिरा को छोड़कर, जो फेफड़ों से ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय तक ले जाती है)। इनमें वाल्व (valves) होते हैं जो रक्त को केवल एक दिशा में, यानी हृदय की ओर, बहने में मदद करते हैं।

 * केशिकाएँ (Capillaries):

   * कार्य: ये सबसे छोटी रक्त वाहिकाएँ हैं जो धमनियों और शिराओं को जोड़ती हैं। इनकी दीवारें एक कोशिका जितनी पतली होती हैं, जिससे ऑक्सीजन, पोषक तत्व, कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट पदार्थों का कोशिकाओं और रक्त के बीच आदान-प्रदान आसानी से हो सके।

3. हृदय (Heart):

 * कार्य:

 यह एक पेशीय अंग है जो पूरे शरीर में रक्त को पंप करता है। यह एक दोहरा पंप (double pump) के रूप में कार्य करता है:

   * दायां भाग: शरीर से ऑक्सीजन रहित रक्त प्राप्त करता है और उसे फेफड़ों तक पंप करता है ताकि वह ऑक्सीजन ले सके।

   * बायां भाग: फेफड़ों से ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करता है और उसे शरीर के बाकी हिस्सों तक पंप करता है।

     वहन तंत्र  - वहन तंत्र शरीर में जीवन के लिए आवश्यक सभी पदार्थों को पहुंचाने और अपशिष्ट पदार्थों को हटाने के लिए एक कुशल प्रणाली के रूप में कार्य करता है, जिससे शरीर के सभी अंग ठीक से काम कर सकें।


रविवार, 8 जून 2025

विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव किन कारको पर निर्भर करता है ?

 विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव किन कारको पर निर्भर करता है ?

विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव (जिसे जूल का तापन नियम भी कहते हैं) मुख्य रूप से तीन कारकों पर निर्भर करता है:

 * विद्युत धारा की मात्रा (Current, I): जितनी अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होगी, उतनी ही अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी। ऊष्मा की मात्रा धारा के वर्ग के समानुपाती होती है (H \propto I^2)। इसका मतलब है कि अगर आप धारा को दोगुना करते हैं, तो उत्पन्न ऊष्मा चार गुना हो जाएगी।

 * चालक का प्रतिरोध (Resistance, R): चालक का प्रतिरोध जितना अधिक होगा, उतनी ही अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी। ऊष्मा की मात्रा प्रतिरोध के समानुपाती होती है (H \propto R)। उच्च प्रतिरोध वाले तार, जैसे कि हीटर में उपयोग होने वाले तार, अधिक ऊष्मा उत्पन्न करते हैं।

 * धारा प्रवाह का समय (Time, t): जितने अधिक समय तक विद्युत धारा प्रवाहित होती है, उतनी ही अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी। ऊष्मा की मात्रा समय के समानुपाती होती है (H \propto t)।

इन तीनों कारकों को मिलाकर जूल के तापन नियम का सूत्र बनता है:

H = I^2 Rt

जहाँ:

 * H उत्पन्न ऊष्मा है (जूल में)

 * I विद्युत धारा है (एम्पियर में)

 * R चालक का प्रतिरोध है (ओम में)

 * t समय है (सेकंड में)


शुक्रवार, 6 जून 2025

रूस का यूक्रेन पर भीषण हमला: 400 से अधिक ड्रोन, 40 मिसाइलों से तबाही, 3 आपातकालीन कर्मियों की मौत


रूस का यूक्रेन पर भीषण हमला: 400 से अधिक ड्रोन, 40 मिसाइलों से तबाही, 3 आपातकालीन कर्मियों की मौत




रूस का यूक्रेन पर भीषण हमला: 400 से अधिक ड्रोन, 40 मिसाइलों से तबाही-


कीव, यूक्रेन – रूस ने अपनी आक्रामक नीति को जारी रखते हुए आज यूक्रेन के शहरों और नागरिक जीवन पर एक और बड़ा हमला किया। इस हमले में लगभग पूरे यूक्रेन को निशाना बनाया गया, जिसमें वोलिन, लविवि, टेरनोपिल, कीव, सुमी, पोल्टावा, खमेलनित्स्की, चर्कासी और चेर्निहिव क्षेत्र शामिल थे। यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार, इस हमले में 400 से अधिक ड्रोन और 40 से अधिक मिसाइलों, जिनमें बैलिस्टिक मिसाइलें भी शामिल थीं, का इस्तेमाल किया गया।

यूक्रेनी रक्षा बलों ने कुछ मिसाइलों और ड्रोन को सफलतापूर्वक मार गिराया, लेकिन दुर्भाग्य से सभी को रोका नहीं जा सका। इस भीषण हमले के परिणामस्वरूप अब तक 49 लोग घायल हुए हैं, और यह संख्या बढ़ने की आशंका है क्योंकि अधिक लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं।

सबसे दुखद बात यह है कि इस हमले में यूक्रेन की राज्य आपातकालीन सेवा के तीन कर्मचारियों की मौत की पुष्टि हुई है। उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की गई है। सभी आवश्यक सेवाएँ अब घटनास्थल पर मौजूद हैं, मलबे को साफ करने और बचाव अभियान चलाने में जुटी हुई हैं। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि सभी नुकसानों को निश्चित रूप से बहाल किया जाएगा।

यूक्रेनी सरकार ने रूस को इस हमले के लिए पूरी तरह से जवाबदेह ठहराया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि युद्ध के पहले मिनट से ही रूस शहरों और गांवों पर हमला कर रहा है, जिसका उद्देश्य जीवन को नष्ट करना है। यूक्रेन ने अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए दुनिया के साथ मिलकर महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।

यूक्रेनी नेतृत्व ने अब अमेरिका, यूरोप और दुनिया भर के सभी देशों से रूस पर निर्णायक दबाव बनाने का आह्वान किया है ताकि इस युद्ध को रोका जा सके। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि कोई दबाव नहीं बनाया जाता है और युद्ध को लोगों की जान लेने के लिए और समय दिया जाता है, तो यह मिलीभगत और जवाबदेही होगी। यूक्रेन ने वैश्विक समुदाय से निर्णायक रूप से कार्य करने का आग्रह किया है।


शनिवार, 24 मई 2025

भारत के न्याय प्रणाली कितना सुलभ जो न्याय पाने ने जीवन गुजर जाता है

 लखन पुत्र मंगली की कहानी, जिन्हें 43 साल जेल में रखने के बाद 103 साल की उम्र में बाइज्ज़त बरी किया गया, भारतीय न्याय व्यवस्था की जटिलताओं और चुनौतियों को उजागर करती है. यह घटना न्याय और अन्याय के बीच की महीन रेखा पर गंभीर सवाल खड़े करती है.

   


43 साल का इंतज़ार और एक शताब्दी की उम्र

लखन को 1977 में हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 1982 में निचली अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई, लेकिन लखन का कहना था कि वह निर्दोष हैं | उन्होंने उसी साल इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की. चौंकाने वाली बात यह है कि उनकी यह अपील 43 साल तक चलती रही  | और इस दौरान लखन जेल में ही बंद रहे. अंततः 2 मई 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें बाइज्ज़त बरी करने का आदेश दिया, जब उनकी उम्र 103 वर्ष हो चुकी थी |

यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या 43 साल का इंतज़ार, जिसमें एक व्यक्ति की पूरी जवानी और बुढ़ापा जेल में कट जाए, न्याय कहा जा सकता है? जिस व्यक्ति को निर्दोष साबित होने में इतना समय लगा, उसे उसके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष किसने लौटाए?

न्याय कितना महंगा है?

यह कहानी भारतीय न्याय प्रणाली में एक और गंभीर समस्या को सामने लाती है: न्याय की बढ़ती लागत. जैसा कि खबर में बताया गया है, भारत में मुकदमा लड़ना बहुत महंगा है. वकीलों की फीस, अदालती प्रक्रियाएँ और सालों तक चलने वाले मुकदमों का खर्च आम आदमी की पहुँच से बाहर होता जा रहा है | लखन जैसे गरीब व्यक्ति के लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में महंगे वकीलों का खर्च उठाना असंभव है |

कई लोग न्याय पाने के लिए अपनी ज़मीनें, मकान बेच देते हैं या कर्ज लेते हैं. इसके बावजूद, न्याय मिलने की कोई गारंटी नहीं होती और अक्सर लोगों की पूरी ज़िंदगी मुकदमेबाजी में गुजर जाती है. यह स्थिति उन गरीब और वंचित लोगों के लिए और भी कठिन हो जाती है, जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण न्याय से वंचित रह जाते हैं|

अंतिम उम्मीद, लेकिन कितनी सुलभ?

आज भी भारत में लोग अदालत को अपनी अंतिम उम्मीद मानते हैं. जब हर जगह से निराशा मिलती है, तो लोग कहते हैं, "मैं मुकदमा करूँगा, मैं अदालत जाऊँगा." यह लोगों का न्याय प्रणाली पर विश्वास दिखाता है, लेकिन क्या यह विश्वास हमेशा बरकरार रह पाता है, खासकर लखन जैसे मामलों में?

न्याय व्यवस्था चलाने वाले लोगों को इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा कि न्याय कितना महंगा हो गया है और यह सुनिश्चित करना होगा कि हर व्यक्ति को, चाहे वह कितना भी गरीब क्यों न हो, समय पर और उचित न्याय मिल सके. लखन की कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि न्याय में देरी, न्याय से इनकार के समान है|

लखन की रिहाई एक जीत है, लेकिन यह उन अनगिनत लोगों के लिए एक कड़वी सच्चाई भी है जो आज भी हमारी न्याय प्रणाली की धीमी गति और उच्च लागत से जूझ रहे हैं. क्या इस घटना से हमारी न्याय प्रणाली में कोई सुधार आएगा?