शनिवार, 19 जुलाई 2025

EU ने लगाया भारत पर प्रतिबंध: क्या रूस से दोस्ती का बदला ले रहा पश्चिमी देश?

 EU ने लगाया भारत पर प्रतिबंध: क्या रूस से दोस्ती का बदला ले रहा पश्चिमी देश?

ईयू का भारत पर प्रतिबंध: क्या रूस से दोस्ती का 'बदला' ले रहा पश्चिमी खेमा?



नई दिल्ली: यूरोपीय संघ (EU) ने रूस पर अपने नवीनतम प्रतिबंध पैकेज के तहत भारत की एक प्रमुख तेल रिफाइनरी, नायरा एनर्जी (Nayara Energy) पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिसमें रूसी ऊर्जा दिग्गज रोसनेफ्ट (Rosneft) की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। इस कदम ने भारत में गहरी चिंता पैदा कर दी है और सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह पश्चिमी देशों द्वारा रूस के साथ भारत के लगातार मजबूत होते संबंधों का "बदला" लेने का प्रयास है।


   


नायरा एनर्जी पर प्रतिबंध का मतलब क्या है?

यूरोपीय संघ के इस 18वें प्रतिबंध पैकेज में नायरा एनर्जी के गुजरात स्थित वाडिनार रिफाइनरी को निशाना बनाया गया है। इन प्रतिबंधों के तहत, नायरा एनर्जी अब यूरोपीय देशों को रूसी कच्चे तेल से बने पेट्रोलियम उत्पादों, जैसे पेट्रोल और डीजल, का निर्यात नहीं कर पाएगी। इसके अलावा, रूसी कच्चे तेल के परिवहन में शामिल भारतीय ध्वज वाले जहाजों पर भी कार्रवाई की जा सकती है। यूरोपीय संघ ने रूसी तेल पर मूल्य सीमा को $60 प्रति बैरल से घटाकर लगभग $47.6 प्रति बैरल कर दिया है, जिसका उद्देश्य रूस की तेल आय को और कम करना है।

यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कलास ने कहा, "पहली बार, हम एक ध्वज रजिस्ट्री और भारत में सबसे बड़ी रोसनेफ्ट रिफाइनरी को नामित कर रहे हैं।" ये प्रतिबंध "शैडो फ्लीट" (उन जहाजों का बेड़ा जो रूस के तेल को छुपा कर ले जाते हैं) और रूसी कच्चे तेल के व्यापारियों से जुड़ी कंपनियों को भी निशाना बनाते हैं।

भारत की तीखी प्रतिक्रिया: 'दोहरा मानदंड अस्वीकार्य'

भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इन प्रतिबंधों पर कड़ी आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता है जो संयुक्त राष्ट्र के ढांचे से बाहर लगाए गए हों। उन्होंने ऊर्जा व्यापार में "दोहरे मानदंड" अपनाने के लिए यूरोपीय संघ की आलोचना की। जायसवाल ने जोर देकर कहा कि भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र है और अपने कानूनी दायित्वों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है, साथ ही नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।

क्या यह रूस से दोस्ती का परिणाम है?

पश्चिमी देशों ने यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस पर व्यापक प्रतिबंध लगाए हैं और अन्य देशों से भी रूस के साथ व्यापार संबंध कम करने का आग्रह किया है। भारत, हालांकि, रूस से रियायती दरों पर कच्चे तेल का एक बड़ा आयातक बना हुआ है, जिससे पश्चिमी देशों को यह चिंता है कि इससे रूस को युद्ध के लिए धन जुटाने में मदद मिल रही है।

नाटो (NATO) के महासचिव मार्क रट ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि अगर ब्राजील, चीन और भारत जैसे देश रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं, तो उन पर "माध्यमिक प्रतिबंध" (secondary sanctions) लगाए जा सकते हैं। यूरोपीय संघ का नायरा एनर्जी पर प्रतिबंध सीधे तौर पर भारत को निशाना बनाता है, जो रूस के साथ उसके ऊर्जा संबंधों को कम करने के लिए दबाव बनाने की एक स्पष्ट कोशिश प्रतीत होती है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रतिबंध पश्चिमी देशों की बढ़ती हताशा को दर्शाता है, क्योंकि उनके द्वारा लगाए गए प्राथमिक प्रतिबंधों के बावजूद रूस की अर्थव्यवस्था पर उतना गहरा असर नहीं पड़ा है जितना उम्मीद की जा रही थी, जिसका एक कारण भारत और चीन जैसे देशों द्वारा रूसी तेल की खरीद है।

आगे क्या? चुनौतियां और अवसर

इन प्रतिबंधों से नायरा एनर्जी को परिचालन संबंधी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, खासकर यूरोपीय बाजारों में निर्यात के मामले में। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इसका भारत के समग्र तेल आयात पर सीमित प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि अन्य भारतीय रिफाइनरियों के लिए रूसी तेल और अधिक आकर्षक हो सकता है, क्योंकि इसकी कीमत कम हो जाएगी।

यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यूरोपीय संघ इन प्रतिबंधों को प्रभावी ढंग से लागू कर पाता है, खासकर अमेरिकी समर्थन के अभाव में। भारत के लिए यह एक कूटनीतिक चुनौती है, क्योंकि उसे अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को भी संतुलित करना होगा। क्या यह कदम भारत को वैकल्पिक ऊर्जा साझेदारियों की तलाश करने या संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से बातचीत करने के लिए प्रेरित करेगा, यह आने वाला समय ही बताएगा।


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