चट्टान
वे सभी पदार्थ जिससे भूपर्पटी का निर्माण हुआ है चट्टान कहलाता है |
चट्टानों का वर्गीकरण
चट्टानों को तीन भागों में बांटा गया है
(1) आग्नेय चट्टान
(2) अवसादी चट्टान
(3) रूपांतरित चट्टान
(1) आग्नेय चट्टान
आग्नेय चट्टान का निर्माण पृथ्वी के आंतरिक भाग में मैग्मा एवं लावा ठंडा होने के कारण हुआ है | इसे प्राथमिक चट्टान भी कहा जाता है
आग्नेय चट्टानों की प्रमुख विशेषताएं
(1) एक कठोर स्थूल एवं संहत होती है |
(2) इसमें रवे पाया जाता है | जिसका आकार मैग्मा के शीघ्र ठंडा होने की गति पर निर्भर करता है |
(3) इसमें जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं |
( 4) इसमें परते नहीं होती है |
(5) आग्नेय चट्टानों पर अपरदन क्रिया का प्रभाव बहुत कम होती है |
(6) इन चट्टानों में खनिज तत्व बहुलता से मिलता है |
आग्नेय चट्टानों का आर्थिक महत्व
विश्व के अधिकांश खनिज इन्हीं चट्टानों में मिलता है | इसमें चुंबकीय लोहा , निकिल , तांबा , सीसा , जस्ता , क्रोमाइट , मैंगनीज , टीन क्वार्ट्ज , कैल्साइट , अभरक , मैग्निशियम युक्त सिलीकेट तथा कुछ दुर्लभ खनिज जैसे सोना , हीरा , प्लेटिनम आदि सम्मिलित है |
(2) अवसादी चट्टान
अवसादी चट्टानों का निर्माण प्राकृतिक कारको द्वारा अनाच्छादित पदार्थ जो परत दर परत जमा होता गया बाद में दबाव या संपीड़न जैसे कारको द्वारा यह कठोर होता गया और चट्टान का रूप धारण कर लिया जिसे अवसादी चट्टान कहा जाता है |
अवसादी चट्टानों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है
(1) चट्टानों में जीव जंतुओं तथा वनस्पति के जीवाश्म मिलते हैं |
(2) यह चट्टान छिद्रमय होता है |
(3) यह चट्टान छिद्रमय होता है | जिसके कारण उसने पानी सुगमता से प्रवेश कर सकता है | यह चट्टाने आग्नेय चट्टानों की अपेक्षा नरम होती है | और जल्दी टूट फूट जाती है |
( 4) इन चट्टानों में परतें स्पष्ट दिखाई देती है |
अवसादी चट्टानों का आर्थिक महत्व
आर्थिक महत्व वाले खनिज आग्नेय चट्टानों की अपेक्षा अवसादी चट्टानों में कम पाए जाते हैं | लेकिन लौह अयस्क , फास्फेट शैल चक्र, इमारती पत्थर , संगमरमर कोयला एवं सीमेंट बनाने वाले पदार्थों के स्रोत अवसादी चट्टानों में ही पाए जाते हैं |
खनिज तेल भी अवसादी चट्टानों में ही पाया जाता है | बॉक्साइट मैंगनीज, टीन आदि खनिज व खनिजों के गौण अयस्क भी इसी चट्टानों में मिलता है | आगरा एवं दिल्ली का लाल किला बलुआ पत्थर से बना है जो अवसादी चट्टान ही है |
(3) रूपांतरित चट्टान
परतदार शैल तथा आग्नेय शैल में रूप परिवर्तित होकर जिस शैल का निर्माण करता है | उसे रूपांतरित चट्टान कहा जाता है |
रूपांतरण की क्रिया के दौरान चट्टान का संगठन तथा रूप बदल जाता है | लेकिन चट्टान में किसी प्रकार का विघटन या वजन नहीं होता है |
रूपांतरण के मुख्य कारक निम्न है
(1) ऊष्मा - चट्टानों के रूपांतरण के लिए सर्व प्रमुख कारण उस्मा को माना जाता है | क्योंकि अधिक तापमान के कारण मूल चट्टान पिघल जाती है | इस कारण उसके खनिज कणो एवं काणो के क्रम में पर्याप्त अंतर आ जाता है |
(2) दबाव या संपीडन - पर्वत निर्माण के क्रिया के समय या भू हलचल के समय जब चट्टानों में मोड़ आने लगता है | तो उससे उत्पन्न दबाव के कारण चट्टानों के संगठन तथा रूप में परिवर्तन आ जाता है | इस प्रकार का दबाव खासकर पर्वतीय भागों में कार्य करता है |
(3) घोल - जल के साथ कार्बन डाई ऑक्साइड तथा ऑक्सीजन के मिलने से रासायनिक अभिक्रियाएं होती है | जिसके कारण चट्टानों के रासायनिक पदार्थ तथा खनिज घुलकर जल के साथ मिश्रित हो जाता है | तथा जब इसका संपर्क चट्टानों से होता है तो उस चट्टानों के रासायनिक संगठन में काफी अंतर आ जाता है |
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